KNEWS DESK- बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की जमानत याचिका पर गुरुवार (29 अगस्त) को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। पूजा को 29 अगस्त तक गिरफ्तारी से राहत मिली हुई है। यूपीएससी ने 31 जुलाई को उनका सिलेक्शन रद्द कर दिया था और कहा कि वे भविष्य में यूपीएससी का कोई एग्जाम नहीं दे पाएंगी।
UPSC का निर्णय और पूजा की याचिका
UPSC ने पूजा खेडकर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उम्र, माता-पिता की जानकारी और पहचान बदलकर निर्धारित सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेज का एग्जाम दिया है। पूजा ने यूपीएससी के इस फैसले को चुनौती दी है और कहा है कि आयोग के पास उनके खिलाफ कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है। उनका कहना है कि अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1954 और प्रशिक्षु नियमों के तहत कार्रवाई केवल कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ही कर सकता है, जैसा कि CSE 2022 के नियम 19 में उल्लेखित है।
पूजा के दस्तावेजों का बचाव
पूजा ने कोर्ट में यह भी कहा है कि यूपीएससी ने उनके बायोमेट्रिक डेटा का उपयोग करके उनकी पहचान की पुष्टि की थी। उन्होंने दावा किया है कि आयोग ने उनके द्वारा दिए गए किसी भी दस्तावेज को डुप्लीकेट या फर्जी नहीं पाया है। उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, जन्मतिथि और व्यक्तिगत जानकारी के सभी डेटा सही पाए गए हैं और 26 मई 2022 को आयोजित पर्सनैलिटी टेस्ट में आयोग ने उनकी पहचान की पुष्टि की थी।
UPSC की कार्रवाई और पूजा का सिलेक्शन रद्द
31 जुलाई को यूपीएससी ने पूजा खेडकर का सिलेक्शन रद्द कर दिया था और उन्हें भविष्य में किसी भी यूपीएससी परीक्षा में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया था। पूजा को सीएसई-2022 के नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया था, जिसमें उन्होंने कई बार परीक्षा दी थी और पहचान बदलने के आरोप लगाए गए थे। पूजा ने 2022 में एग्जाम में 841वीं रैंक प्राप्त की थी और वे 2023 बैच की ट्रेनी IAS थीं, जिन्होंने जून 2024 से ट्रेनिंग शुरू की थी।
UPSC द्वारा कार्रवाई की प्रक्रिया
यूपीएससी ने पूजा को 18 जुलाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने 25 जुलाई तक जवाब देना था। पूजा ने दस्तावेज जुटाने के लिए 4 अगस्त तक का समय मांगा, और आयोग ने उन्हें 30 जुलाई को दोपहर 3:30 बजे तक का समय दिया। हालांकि, पूजा ने समय पर जवाब नहीं दिया। यूपीएससी ने 2009 से 2023 तक 15,000 से अधिक उम्मीदवारों के डेटा की जांच की, जिसमें पूजा खेडकर का मामला ही एकमात्र था, जिसमें उन्होंने अपने नाम और माता-पिता के नाम को बदलकर परीक्षा दी थी। यूपीएससी अपनी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) को और मजबूत करने की प्रक्रिया में है ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो। पूजा खेडकर के मामले की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट में जारी है, और उनका भविष्य इस पर निर्भर करेगा कि कोर्ट उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों पर क्या निर्णय लेता है।
ये भी पढ़ें- बृजभूषण शरण सिंह ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका की दायर, यौन उत्पीड़न मामले में FIR और आरोपों को दी चुनौती