आज से पूरे देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू , जानें नई भारतीय संहिताओं की खासियत

KNEWS DESK- आज, 1 जुलाई से देश में तीन इन कानून लागू हो रहे हैं, जिनमें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), भारतीय न्याय संहिता (BNS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) शामिल हैं| New Laws: इस दिन से लागू होंगे देश में नए आपराधिक कानून, जानें नए अधिनियम की अहम बातें

आज एक जुलाई से काफी कुछ बदलने जा रहा है। आज से देश में आपराधिक न्याय के एक नए युग की शुरुआत होने जा रही है। अब देश में IPC, CRPC और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नये कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एफआइआर से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है। आपराधिक ट्रायल को गति देने के लिए नये कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है। शिकायत मिलने पर FIR दर्ज करने, जांच पूरी करने, अदालत के संज्ञान लेने, दस्तावेज दाखिल करने और ट्रायल पूरा होने के बाद फैसला सुनाने तक की समय सीमा तय की गई है।

इंडियन पीनल कोड (IPC) अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) कहलाएगा, कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CRPC) अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) कहलाएगा, इंडियन एविडेंस एक्ट (IEA) अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के नाम से जाना जाएगा|

भारतीय न्याय संहिता (BNS) में कुल 358 धाराएं हैं. पहले आईपीसी में 511 धाराएं थीं| BNS में 20 नए अपराध शामिल किए गए हैं| 33 अपराधों में सजा की अवधि बढ़ाई गई है| 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है| 83 अपराधों में जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई है| छह अपराधों में सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है| अधिनियम में 19 धाराएं निरस्त या हटा दी गई हैं| 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं| 22 धाराओं को निरस्त कर दिया गया है|

इसी तरह, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कुल 531 धाराएं हैं| सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं| BNSS में कुल 177 प्रावधान बदले गए हैं| इसमें 9 नई धाराओं के साथ-साथ 39 नई उपधाराएं भी जोड़ी गई हैं| 44 नए प्रावधान और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं| 35 सेक्शन में समय-सीमा जोड़ी गई है और 35 सेक्शन पर ऑडियो-वीडियो प्रावधान जोड़ा गया है| कुल 14 धाराएं निरस्त और हटा दी गई हैं|

भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराएं हैं| कुल 24 प्रावधान बदले गए हैं| दो नई धाराएं और छह उप-धाराएं जोड़ी गई हैं| छह प्रावधान निरस्त या हटा दिए गए हैं|

1 जुलाई से पुराने कानूनों की जगह नए कानून होंगे लागू

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के होंगे ये बदलाव

नए कानून के तहत किसी भी सरकारी अधिकारी पर मुकदमा चलाने के लिए संबंधित विभाग 120 दिनों के भीतर अनुमति देगा| अगर विभाग या अथॉरिटी अनुमति नहीं देगा तो इसे भी एक्शन माना जाएगा| नए कानून में एक बड़ा बदलाव यह किया गया है कि कोई भी नागरिक किसी भी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज करा सकेगा| इसके बाद मामले को 15 दिनों के भीतर मूल ज्यूरिडिक्शन यानी जहां अपराध हुआ है, वहां ट्रांसफर करना होगा|

FIR दर्ज करने के 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दायर करनी जरूरी होगी और चार्जशीट दायर होने के 60 दिनों के भीतर अदालत को आरोप तय करने होंगे| इसके अलावा किसी भी केस की सुनवाई के 30 दिनों के भीतर अदालत को फैसला देना होगा और फैसले की कॉपी सात दिनों के अंदर उपलब्ध करानी होगी|

अब किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेने के बाद पुलिस को उसके परिजनों को ऑनलाइन, ऑफलाइन या लिखित सूचना देनी होगी| वहीं महिलाओं के मामले में यदि कोई महिला सिपाही थाने में है तो उसकी मौजूदगी में ही पीड़ित महिला का बयान दर्ज करना होगा. इसके अलावा ट्रायल के दौरान गवाहों के बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी दर्ज किए जा सकेंगे| सबसे खास बात यह है कि वर्ष 2027 से पहले देश के सारे कोर्ट कंप्यूटरीकृत कर दिए जाएंगे|

नए कानून में छीना-झपटी से जुड़े मामले में BNS की धारा 302 के तहत केस दर्ज होगा| पहले आईपीसी में धारा 302 में हत्या से जुड़े मामले का प्रावधान था|इसी तरह, गैर कानूनी रूप से एकत्र होने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 144 लगाई जाती है| अब इसे धारा 187 कहा जाएगा|

जानिए नए कानूनों में किस अपराध के लिए कौन-सी धारा लगेगी? 

अपराध                                  IPC (पहले)               BNS (अब)

हत्या                                          302                            103

हत्या की कोशिश                       307                             109

गैर इरादतन हत्या                      304                             105

लापरवाही से मौत                      304A                          106

रेप और गैंगरेप                           375,376                     63,64,70

देश के खिलाफ युद्ध                 121,121A                     147,148

मानहानि                                  499,500                      356

छेड़छाड़                                  354                              74

दहेज हत्या                               304B                           80

दहेज प्रताड़ना                          498A                          85

चोरी                                          379                            303

लूट                                           392                            309

डकैती                                      395                            310

देशद्रोह                                    124                            152

धोखाधड़ी या ठगी                     420                           381

गैर कानूनी सभा                        144                            187

New Criminal Law Implemented From 1st July IPC, CrPC, and Indian Evidence Act are changing

 

किन मामलों में नहीं कर सकेंगे अपील?

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 417 में बताया गया है कि किन मामलों में सजा मिलने पर ऊपरी अदालत में उसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती| अगर हाईकोर्ट से किसी दोषी को 3 महीने या उससे कम की जेल या 3 हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सजा मिलती है, तो इसे ऊपरी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती| आईपीसी में धारा 376 थी, जिसके तहत 6 महीने से कम की सजा को चुनौती नहीं दे सकते थे| यानी, नए कानून में थोड़ी राहत दी गई है|

इसके अलावा, अगर सेशन कोर्ट से किसी दोषी को तीन महीने या उससे कम की जेल या 200 रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा मिलती है, तो इसे भी चुनौती नहीं दे सकते| वहीं, अगर मजिस्ट्रेट कोर्ट से किसी अपराध में 100 रुपये का जुर्माने की सजा सुनाई जाती है तो उसके खिलाफ भी अपील नहीं की जा सकती| हालांकि, अगर किसी और सजा के साथ-साथ भी यही सजा मिलती है तो फिर इसे चुनौती दी जा सकती है|

भारतीय साक्ष्य अधिनियम में क्या हुए जरूरी बदलाव

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) में कुल 170 धाराएं हैं. अब तक इंडियन एविडेंस ऐक्ट में कुल 167 धाराएं थीं| नए कानून में 6 धाराओं को निरस्त किया गया है| इसमें 2 नई धाराएं और 6 उप-धाराओं को जोड़ा गया है| गवाहों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान है| तमाम इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी कागजी रिकॉर्ड की तरह ही कोर्ट में मान्य होंगे| इसमें ईमेल, सर्वर लॉग, स्मार्टफोन और वॉइस मेल जैसे रिकॉर्ड भी शामिल हैं|

महिलाओं व बच्चों से जुड़े अपराध

महिलाओं व बच्चों से जुड़े अपराधों में धारा 63-99 तक रखा गया है| अब दुष्कर्म को धारा 63 से परिभाषित किया गया है| रेप की सजा को  धारा 64 में बताया गया है. इसके साथ ही गैंगरेप के लिए धारा 70 है| सेक्सुअल हरासमेंट का अपराध धारा 74 में परिभाषित किया गया है| नाबालिग से रेप के मामले या गैंगरेप के मामले में अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है| धारा 77 में स्टॉकिंग (Stalking) को परिभाषित किया गया है, वहीं दहेज हत्या धारा-79 में और दहेज प्रताड़ना धारा-84 में बताया गया है| शादी का झांसा या वादा कर संबंध बनाने वाले अपराध को रेप से अलग अपराध बनाया गया है यानी उसे रेप की परिभाषा में नहीं रखा गया है|

नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले में सजा में सख्ती

बीएनएस में नाबालिगों से दुष्कर्म में सख्त सजा कर दी गई है| 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ दुष्कर्म का दोषी पाए जाने पर कम से कम 20 साल की सजा का प्रावधान किया गया है| इस सजा को आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है| आजीवन कारावास की सजा होने पर दोषी की सारी जिंदगी जेल में ही गुजरेगी| बीएनएस की धारा 65 में ही प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म का दोषी पाया जाता है तो उसे 20 साल की जेल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है| इसमें भी उम्रकैद की सजा तब तक रहेगी, जब तक दोषी जिंदा रहेगा| ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर मौत की सजा का प्रावधान भी है| इसके अलावा जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है|

कत्ल को इस तरह किया गया है परिभाषित

सबसे बड़ी बात, सरकार ने मॉब लिंचिंग को भी अपराध के दायरे में रखा है| शरीर पर चोट करने वाले अपराधों को धारा 100-146 तक परिभाषित किया गया है| मर्डर के लिए सजा धारा 103 में बताई गई है| धारा 111 में संगठित अपराध में सजा का प्रावधान है| धारा 113 में टेरर ऐक्ट बताया गया है| मॉब लिंचिंग मामले में भी 7 साल कैद या उम्रकैद या फांसी की सजा का प्रावधान है|

मैरिटल रेप के लिए क्या है?

18 वर्ष से ज्यादा उम्र की पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाए जाते हैं तो वह रेप नहीं माना जाएगा| शादी का वादा कर संबंध बनाने को रेप की कैटिगरी से बाहर कर दिया गया है| इसे धारा 69 में अलग से अपराध बनाया गया है| इसमें कहा गया है कि अगर कोई शादी का वादा कर संबंध बनाता है और वह वादा पूरा करने की मंशा नहीं रखता है या फिर नौकरी का वादा कर या प्रमोशन का वादा कर संबंध बनाता है तो दोषी पाए जाने पर अधिकतम 10 साल कैद की सजा हो सकती है. IPC में यह रेप के दायरे में था|

राजद्रोह की धारा नहीं

BNS में राजद्रोह से जुड़ी अलग धारा नहीं है| यानी राजद्रोह को समाप्त कर दिया गया है| नए कानून में ‘राजद्रोह’ को एक नया शब्द ‘देशद्रोह’ मिला है| IPC की धारा 124A में राजद्रोह का कानून है| नए कानून में देश की संप्रभुता को चुनौती देने और अखंडता पर हमला करने या खतरा पहुंचाने वाले कृत्यों को देशद्रोह में शामिल किया गया है| देशद्रोह से जुड़े मामलों को धारा 147-158 तक परिभाषित किया गया है| धारा 147 में कहा गया है कि देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के दोषी पाए जाने पर फांसी या उम्रकैद की सजा होगी| धारा 148 में इस तरह की साजिश करने वालों को उम्रकैद और हथियार इकट्ठा करने या युद्ध की तैयारी करने वालों के खिलाफ धारा 149 लगाने का प्रावधान है| धारा 152 में कहा गया है कि अगर कोई जानबूझकर लिखकर या बोलकर या संकेतों से या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से प्रदर्शन करके ऐसी हरकत करता है, जिससे विद्रोह फूट सकता हो, देश की एकता को खतरा हो या अलगाव और भेदभाव को बढ़ावा देता हो तो ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर अपराधी को उम्रकैद या फिर 7 साल की सजा का प्रावधान है|

मेंटल हेल्थ : मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने क्रूरता माना गया है| इसे धारा 85 में रखा गया है| इसमें कहा गया है कि अगर किसी महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए कार्रवाई होती है, तो वह क्रूरता के दायके में आएग| अगर महिला को चोट पहुंचाई जाती है या उसके जीवन को खतरा होता है तो या फिर हेल्थ या फिज़िकल हेल्थ को खतरे में जाता है तो दोषी को 3 साल की सजा मिलने का प्रावधान है|

संगठित अपराधः इन्हें धारा 111 में रखा गया है| इसमें कहा गया है कि अगर कोई शख्स ऑर्गेनाइज्ड क्राइम सिंडिकेट चलाता है, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग करता है, जबरन वसूली करता है या आर्थिक अपराध करता है तो दोषी को फांसी या उम्रकैद हो सकती है|

चुनावी अपराध की धाराः चुनावी अपराध को धारा 169-177 तक रखा गया है. संपत्ति को नुकसान, चोरी, लूट, डकैती आदि मामले को धारा 303-334 तक रखा गया है| मानहानि का ज़िक्र धारा 356 में है|

धारा 377: नए बिल में धारा 377 यानी अप्राकृतिक यौनाचार को लेकर कोई प्रावधान साफ नहीं किए गए हैं| हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बालिगों द्वारा बनाए गए यौन संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया था| महिला के साथ अप्राकृतिक यौनाचार रेप के दायरे में है| लेकिन बालिग पुरुष की मर्जी के खिलाफ और पशुओं के साथ अप्राकृतिक यौनाचार पर बिल में प्रावधान नहीं है|

नए कानूनों में क्या है आतंकवाद?

अब तक आतंकवाद की कोई परिभाषा नहीं थी, लेकिन अब इसकी परिभाषा है\ इस कारण अब कौनसा अपराध आतंकवाद के दायरे में आएगा, ये निश्चित हो गया है| भारतीय न्याय संहिता की धारा 113 के मुताबिक, जो कोई भारत की एकता, अखंडता, और सुरक्षा को खतरे में डालने, आम जनता या उसके एक वर्ग को डराने या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने के इरादे से भारत या किसी अन्य देश में कोई कृत्य करता है तो उसे आतंकवादी कृत्य माना जाएगा|

आतंकी कृत्य में क्या-क्या जोड़ा?

आतंकवाद की परिभाषा में ‘आर्थिक सुरक्षा’ शब्द को भी जोड़ा गया है. इसके तहत, अब जाली नोट या सिक्कों की तस्करी या चलाना भी आतंकवादी कृत्य माना जाएगा| इसके अलावा किसी सरकारी अफसर के खिलाफ बल का इस्तेमाल करना भी आतंकवादी कृत्य के दायरे में आएगा| नए कानून के मुताबिक, बम विस्फोट के अलावा बायोलॉजिकल, रेडियोएक्टिव, न्यूक्लियर या फिर किसी भी खतरनाक तरीके से हमला किया जाता है जिसमें किसी की मौत या चोट पहुंचती है तो उसे भी आतंकी कृत्य में गिना जाएगा|

आतंकी गतिविधि के जरिए संपत्ति कमाना भी आतंकवाद

इसके अलावा देश के अंदर या विदेश में स्थित भारत सरकार या राज्य सरकार की किसी संपत्ति को नष्ट करना या नुकसान पहुंचाना भी आतंकवाद के दायरे में आएगा| अगर किसी व्यक्ति को पता हो कि कोई संपत्ति आतंकी गतिविधि के जरिए कमाई गई है, उसके बावजूद वो उस पर अपना कब्जा रखता है, तो इसे भी आतंकी कृत्य माना जाएगा| भारत सरकार, राज्य सरकार या किसी विदेशी देश की सरकार को प्रभावित करने के मकसद से किसी व्यक्ति का अपहरण करना या उसे हिरासत में रखना भी आतंकवादी कृत्य के दायरे में आएगा|

किन अपराधों में मिलेगी कम्युनिटी सर्विस की सजा?

– धारा 202: कोई भी सरकारी सेवक किसी तरह के कारोबार में शामिल नहीं हो सकता| अगर वो ऐसा करते हुए दोषी पाया जाता है तो उसे 1 साल की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा या फिर कम्युनिटी सर्विस करने की सजा मिल सकती है|

– धारा 209: कोर्ट के समन पर अगर कोई आरोपी या वयक्ति पेश नहीं होता है तो अदालत उसे तीन साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा या कम्युनिटी सर्विस की सजा सुना सकती है|

-धारा 226: अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी सेवक की काम में बाधा डालने के मकसद से आत्महत्या की कोशिश करता है तो एक साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों या फिर कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जा सकती है|

– धारा 303: पांच हजार रुपये से कम कीमत की संपत्ति की चोरी करने पर अगर किसी को पहली बार दोषी ठहराया जाता है तो संपत्ति लौटाने पर उसे कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जा सकती है|

– धारा 355: अगर कोई व्यक्ति नशे की हालत में सार्वजनिक स्थान पर हुड़दंग मचाता है तो ऐसा करने पर उसे 24 घंटे की जेल या एक हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों या फिर कम्युनिटी सर्विस की सजा मिल सकती है|

– धारा 356: अगर कोई व्यक्ति बोलकर, लिखकर, इशारे से या किसी भी तरीके से दूसरे व्यक्ति की प्रतिष्ठा और सम्मान को ठेस पहुंचाता है तो मानहानि के कुछ मामलों में दोषी को 2 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों या कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जा सकती है|

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