KNEWS DESK- अयोध्या में बीते 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई। जिसमें कई विपक्षी दलों ने ये कहकर दूरी बनाए रखी कि ये बीजेपी का कार्यक्रम है। बसपा सुप्रीमो मायावती भी न तो इस समारोह में शामिल हुईं और न ही कोई प्रतिक्रिया दी। राम मंदिर को लेकर बसपा सुप्रीमो की खामोशी के बीच अब उनके भतीजे आकाश आनंद की राम मंदिर को लेकर प्रतिक्रिया सामने आई है। आकाश आनंद ने कहा कि सिर्फ प्रोटोकॉल में प्रधानमंत्री को सर्वोच्च रखने के लिए समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाया गया।
‘बीजेपी की सरकार ने की ये बड़ी गलती’
आकाश आनंद ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाने बीजेपी सरकार की बड़ी गलती बताया और कहा कि बीजेपी ने राष्ट्रपति को इस समारोह में न बुलाकर गलती की है। मायावती के भतीजे ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर कहा, ’22 जनवरी 2024 की तारीख भारत के इतिहास में दर्ज हो गई है और बेहतर होता कि आदिवासी समाज से आने वाली देश की राष्ट्रपति आदरणीय द्रौपदी मुर्मू जी भी कार्यक्रम में मौजूद रहती, सिर्फ प्रोटोकॉल में प्रधानमंत्री को सर्वोच्च रखने के लिए बीजेपी की सरकार ने बड़ी गलती कर दी.’
22 जनवरी 2024 की तारीख भारत के इतिहास में दर्ज हो गई है, और बेहतर होता कि आदिवासी समाज से आने वाली देश की राष्ट्रपति आदरणीय द्रौपदी मुर्मू जी भी कार्यक्रम में मौजूद रहती।
सिर्फ प्रोटोकॉल में प्रधानमंत्री को सर्वोच्च रखने के लिए बीजेपी की सरकार ने बड़ी गलती कर दी।
— Akash Anand (@AnandAkash_BSP) January 22, 2024
बसपा सुप्रीमो मायावती को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने का न्योता दिया गया था, बसपा सुप्रीमो ने भी न्योता मिलने की बात कही थी लेकिन, मायावती इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुईं हालांकि उन्होंने तब ये ज़रूर कहा था कि बसपा धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। हम सबका स्वागत करते हैं, अगर मैं व्यस्त नहीं हुई तो कार्यक्रम में शामिल भी हो सकती हूं। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि अगर बाबरी मस्जिद को लेकर भी समारोह होता है तो वो उसका भी स्वागत करती हैं।
जानकारी के लिए आपको ये भी बता दें कि आकाश आनंद को बसपा सुप्रीमो ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है। आकाश अक्सर सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहते हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती उन पर काफ़ी भरोसा करती हैं। इससे पहले भी जब दिल्ली में संसद का उद्घाटन हुआ था, तब भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उस कार्यक्रम में नहीं बुलाने को लेकर कई तरह के सवाल उठाए गए थे।
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