KNEWS DESK- कोपिली और कोलोंग नदियों के उफान ने असम के मोरीगांव के कई इलाकों में फसलों को नष्ट कर दिया है। बाढ़ का पानी ठीक उस समय आया जब बोरो चावल की फसल कटाई के लिए तैयार थी, जिससे पके हुए चावल के खेत जलमग्न हो गए और किसान संकट में पड़ गए।
किसान प्रबेन दास ने कहा कि मैं 5 बीघा जमीन पर खेती कर रहा था। उसमें से 2 बीघा पर किसी तरह खेती हो पाई। बाकी 3 बीघा जमीन अब बाढ़ के पानी में डूबी हुई है। बाढ़ के पानी ने हमें बहुत मुश्किलों के साथ-साथ काफी नुकसान भी पहुंचाया है। मैं नाव किराए पर लेकर अभी तक थोड़ी मात्रा में ही धान की फसल काट पाया हूं। हालांकि सरकार ने तटबंध बनाए हैं, लेकिन अब सैकड़ों बीघा खेत पानी में डूबे हुए हैं। किसान अब ऐसी स्थिति में हैं कि उन्हें रोना पड़ रहा है।
अधिकारियों ने रविवार को बताया कि असम में बाढ़ की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है और 10 जिलों के छह लाख से अधिक लोग पानी में डूबे हुए हैं। उन्होंने बताया कि राज्य के विभिन्न भागों में भारी बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे कई इलाकों में प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। कोपिली, बराक और कुशियारा नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
कुल मिलाकर हैलाकांडी होजाई, मोरीगांव, करीमगंज, नागांव, कछार, डिब्रूगढ़, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग पश्चिम और दीमा हसाओ जिलों में 6,01,642 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। अधिकारियों ने बताया कि 28 मई से बाढ़ और तूफान में मरने वालों की संख्या 15 है।
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