डिजिटल डेस्क- पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। इसी बीच तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायक हुमायूं कबीर के बयान ने राज्य की राजनीति में नई आग लगा दी है। विधायक ने घोषणा की है कि वह 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी मस्जिद’ की आधारशिला रखेंगे। इस तारीख को अयोध्या विवादित ढांचे के ढहाने की बरसी भी होती है, ऐसे में इस बयान ने राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया है। हुमायूं कबीर का दावा है कि उन्होंने पिछले साल 12 दिसंबर को मस्जिद निर्माण का वादा किया था और अब वह उसे पूरा करने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि शिलान्यास कार्यक्रम में करीब दो लाख लोगों के जुटने की संभावना है और मंच पर लगभग 400 विशिष्ट लोग मौजूद रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिद का निर्माण पूरा होने में लगभग तीन साल का समय लगेगा। हालांकि, मस्जिद निर्माण की घोषणा के तुरंत बाद विरोध के स्वर उठने लगे।
बीजेपी नेता ने की निंदा
पश्चिम बंगाल बीजेपी के वरिष्ठ नेता दिलीप घोष ने कड़े शब्दों में कहा कि कोई भी अपनी जमीन पर मस्जिद बना सकता है, लेकिन बाबर जैसे आक्रांता के नाम पर देश में मस्जिद नहीं बनने दी जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि बाबर के नाम पर मस्जिद बनाने की कोशिश हुई तो देशभर में इसका व्यापक विरोध होगा। वहीं कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष शुभंकर सरकार ने विधायक को सलाह देते हुए कहा कि मस्जिद के नाम पर अस्पताल बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा विजन यह है कि बाबरी मस्जिद की जगह वहां उसी डिजाइन का अस्पताल बने। इसी तरह राम मंदिर की संरचना पर भी अस्पताल बनाया जा सकता है। यही असली समाधान है, जिससे समाज को लाभ मिलेगा और विवाद भी नहीं बढ़ेगा।
बयान को गंभीरता से लेते हुए विधायक पर की कार्रवाई
मामले के बढ़ते राजनीतिक विवाद और विरोध को देखते हुए टीएमसी ने भी विधायक हुमायूं कबीर से दूरी बना ली है। पार्टी ने गुरुवार को कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया। टीएमसी ने स्पष्ट कर दिया कि पार्टी का इस तरह के विवादित बयानों या कार्यक्रमों से कोई लेना-देना नहीं है। यह विवाद ऐसे समय में उभरा है जब प्रदेश की राजनीति पहले ही चुनावी मोड में है। मुर्शिदाबाद में इसी साल अप्रैल में वक्फ कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क चुकी है, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई थी। ऐसे में 6 दिसंबर को बड़े पैमाने पर लोगों के जुटने की घोषणा ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं।