KNEWS DESK- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया, जो महिला सुरक्षा को लेकर नए और कड़े प्रावधान करता है। ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक’ के तहत, दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा देने का प्रावधान किया गया है, जो राज्य में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को लेकर एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक की मुख्य बातें
- मृत्युदंड का प्रावधान- यदि किसी महिला के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी जाती है, तो दोषी को मृत्युदंड का सामना करना पड़ेगा। यह प्रावधान दुष्कर्म के मामलों में सजा की गंभीरता को दर्शाता है।
- आजीवन कारावास- किसी महिला के साथ दुष्कर्म करने पर दोषी को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी। यह सजा दुष्कर्म के मामलों में दी जा रही अधिकतम सजा होगी।
- नाबालिगों के मामले- यदि किसी नाबालिग के साथ दुष्कर्म होता है, तो दोषी को 20 साल की कैद और मृत्युदंड का प्रावधान है। यह प्रावधान नाबालिगों के प्रति अपराधों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
कानूनी प्रक्रिया और समय सीमा
विधेयक के अनुसार, दुष्कर्म के मामलों में न्याय 21 दिनों के भीतर सुनिश्चित किया जाएगा। यदि इस अवधि के भीतर फैसला नहीं आता है, तो पुलिस अधीक्षक की अनुमति से 15 दिनों का अतिरिक्त समय मिलेगा। यह कदम त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
विधानसभा से विधेयक पास होने के बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। राज्यपाल की मंजूरी के बाद, यह कानून का रूप लेगा। उम्मीद की जा रही है कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस इस विधेयक को साइन करेंगे और कोई दिक्कत नहीं आएगी। अगर राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिलती है, तो विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जा सकता है, लेकिन राज्यपाल की मंजूरी ही इसे कानून में बदलने के लिए पर्याप्त होगी।
केंद्र सरकार से भी नया कानून बनाने की मांग
टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने केंद्र सरकार से भी पश्चिम बंगाल की तर्ज पर एक सख्त दुष्कर्म विरोधी कानून लाने की मांग की है। उन्होंने कहा, “हर 15 मिनट में एक दुष्कर्म होने के भयावह आंकड़े को देखते हुए, एक व्यापक दुष्कर्म विरोधी कानून की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक हो गई है। बंगाल ने दुष्कर्म विरोधी विधेयक के मामले में अग्रणी कदम उठाया है। अब केंद्र सरकार को भी इसी प्रकार की निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए ताकि न्याय जल्दी मिले और सजा गंभीर हो।”
इस नए विधेयक के जरिए ममता बनर्जी की सरकार ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर कठोरता से अंकुश लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह विधेयक न केवल अपराधियों के लिए एक कड़ा संदेश भेजेगा, बल्कि पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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