डिजिटल डेस्क- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पश्चिम बंगाल दौरे के कुछ ही दिनों बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 29 दिसंबर से दो दिवसीय दौरे पर कोलकाता पहुंचेंगे। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियां तेज हो चुकी हैं और इलेक्टोरल रोल के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। SIR शुरू होने के बाद यह अमित शाह का राज्य का पहला दौरा होगा, जिसे बीजेपी संगठनात्मक दृष्टि से काफी अहम मान रही है। बीजेपी सूत्रों के अनुसार, अमित शाह 29 दिसंबर की देर रात कोलकाता पहुंचेंगे। इसके बाद 30 और 31 दिसंबर को वे पार्टी की कई अंदरूनी बैठकें करेंगे। इन बैठकों में SIR प्रक्रिया से जुड़े मुद्दों, मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों और आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति पर विस्तार से चर्चा होने की संभावना है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि SIR के तहत जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में बड़ी संख्या में नाम हटाए जाने को लेकर बीजेपी गंभीर है। खासतौर पर मतुआ समुदाय के कई मतदाताओं के नाम सूची से गायब होने की बात सामने आई है। अमित शाह की बैठकें उन मतदाताओं की चिंताओं को दूर करने और इस मुद्दे पर आगे की रणनीति तय करने पर केंद्रित रहेंगी।
बंगाल के वरिष्ठ नेताओं से करेंगे मुलाकात
सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह दोनों दिन राज्य के वरिष्ठ बीजेपी नेताओं से मुलाकात करेंगे। इन बैठकों में SIR प्रक्रिया के बाद बने राजनीतिक हालात का आकलन, आम लोगों की सोच को समझना और राज्य में पार्टी के आउटरीच प्रोग्राम की प्रभावशीलता की समीक्षा की जाएगी। पार्टी नेतृत्व यह भी देखेगा कि संगठनात्मक स्तर पर कहां मजबूती की जरूरत है। इस बीच अमित शाह के स्वागत को लेकर बंगाल बीजेपी ने खास तैयारी की है। पार्टी केंद्रीय गृह मंत्री के दौरे के दौरान बाइक जुलूस निकालने की योजना बना रही है। कोलकाता, उत्तर और दक्षिण 24 परगना, हावड़ा और हुगली को कवर करने वाले 10 संगठनात्मक जिलों को इस जुलूस के आयोजन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हर जिले को लगभग 500 बाइक जुटाने का लक्ष्य दिया गया है, जिससे कुल संख्या करीब 1,500 तक पहुंच सकती है।
जुलूस के जरिए पार्टी की दिखेगी ताकत
पिछले 11 वर्षों में अमित शाह ने पश्चिम बंगाल का सबसे ज्यादा दौरा करने वाले वरिष्ठ बीजेपी नेताओं में अपनी पहचान बनाई है। हालांकि, उनके काफिले के साथ बाइक जुलूस पहली बार देखने को मिलेगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि चूंकि इस दौरे में कोई सार्वजनिक सभा नहीं है और यह पूरी तरह संगठनात्मक बैठकों तक सीमित है, इसलिए यह जुलूस चुनाव से पहले पार्टी की ताकत और मौजूदगी दिखाने का एक जरिया होगा।