आखिर क्यों संदेशखाली के 19 प्रवेश द्वारों पर लागू की गई धारा 144 ?

KNEWS DESK- संदेशखाली को लेकर पश्चिम बंगाल की सियासत गर्माई हुई है। चारों ओर पुलिस का पहरा है। संदेशखाली के 19 प्रवेश द्वारों पर धारा 144 लागू कर दी गई है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि वह संदेशखाली जाना चाहते हैं लेकिन पुलिस उनको किसी भी तरह से जाने से रोकने पर तुली है। आखिर क्या हुआ कि स्थिति इतनी भयावह हो गई, ऐसी कौन सी घटना है, जिसने यहां की महिलाओं को इतना उग्र बना दिया। आखिर क्या हुआ कि बंगाल के राज्यपाल तक को दौरा करना पड़ा। आखिर क्यों कलकत्ता हाईकोर्ट को मामले का संज्ञान लेना पड़ा। अब धीरे-धीरे दिल दहला देने वाली घटनाओं से पर्दा उठ रहा है। आइए आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है, आखिर आग इतनी कैसे फैली।

5 जनवरी 2024, दिन शुक्रवार… ईडी के टीम बंगाल की राजधानी कोलकाता से करीब 80 किलोमीटर दूर बसे संदेशखाली पहुंची। यहाँ सरबेड़िया में उसे तृणमूल कांग्रेस के एक नेता शेख शाहजहां के घर पूछताछ करनी थी लेकिन इससे पहले ही स्थानीय तृणमूल समर्थकों ने ईडी पर हमला कर दिया। इस हमले में ईडी के तीन अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए और शेख शाहजहां फरार हो गया। इसके बाद सालों से शेख शाहजहां और उसके गुर्गों के खिलाफ पीड़ितों ने अपनी आवाज उठानी तेज कर दी और खुल कर सामने आ गए। गांव के लोगों ने शेख शाहजहां और उसके सहयोगियों को गिरफ्तार करने की मांग करते हुए आंदोलन तेज कर दिया और अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन किया। खासकर महिलाएं आगे आईं।

संदेशखाली की महिलाओं ने वहां के तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां और उसके कुछ गुर्गों पर यौन उत्पीड़न, गैंग रेप और जमीन हड़पने का आरोप लगाया। सात फरवरी से महिलाएं सड़कों पर उतर आईं। महिलाएं विरोध में प्रदर्शन करने और धरने देने लगीं।आक्रोशित महिलाओं ने शाहजहां के करीबी विश्वासपात्र और तृणमूल नेता शिबू हाजरा के खेत और पॉल्ट्री फार्म में आग भी लगा दी। महिलाओं का आरोप है कि पॉल्ट्री फार्म गांव के लोगों की जमीन छीनकर उस पर अवैध तरीके से बनाया गया है। ये कई तरह के अवैध कार्यों का केंद्र था।

उत्तर 24 परगना के संदेशखाली में शुरू हुए इस आंदोलन ने धीरे-धीरे विकराल रूप ले लिया। आरोप है कि शाहजहां ने पार्टी के नाम पर गांव वालों पर लंबे समय तक अत्याचार किया। महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया। रात को बहु-बेटियों को अपने ऑफिस में बुलाता था। लेकिन कोई इसका विरोध नहीं कर पाता था।

इसके बाद 9 फरवरी की रात, यानि विरोध प्रदर्शन के दूसरे दिन रात से संदेशखाली में धारा 144 लागू कर दी गई। संदेशखाली ब्लॉक-2 के 8 ग्राम पंचायत इलाकों में दुकान-बाजार बंद रहे। इंटरनेट सेवाएं भी ठप कर दी गई। संदेशखाली थाना क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए। इलाकों में पुलिस लगातार गश्ती लगा रही है। संदेशखाली जाने वाले सभी रास्तों (जल व सड़क) पर पुलिस कड़ी नजर रही।

इस बीच, कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखाली में जारी धारा 144 पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे रद्द कर दिया। सरकार कोर्ट में यह नहीं बता पाई कि आखिर पूरे संदेशखाली में धारा 144 क्यों लागू की गई। कोर्ट की फटकार के बाद रणनीतिक रूप से धारा 144 तो हटा ली गई, लेकिन प्रशासन ने संदेशखाली जाने वाले 19 प्रवेश द्वारों पर धारा 144 लागू कर दी।

15 जनवरी को जब राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की टीम आयोग के अध्यक्ष अरुण हलदार के नेतृत्व में संदेशखाली पहुंची तो महिलाओं ने टीम को जो आपबीती सुनाई, उसको सुनकर सबके दिल दहल उठे। महिलाएं फफक फफककर आपके ऊपर बीती त्रासदी बयां कर रही थीं. उनके साथ क्या हुआ था, सब कुछ एक ही सांस में सुना डाली। महिलाओं ने आयोग को बताया कि रात में महिलाओं को बैठकों में बुलाया जाता था. उनका यौन शोषण होता था. आयोग के अध्यक्ष से एक बुजुर्ग ने बताया कि पुरुषों को घर में रहने नहीं दिया जाता था। उनको बुलाकर बुरी तरह पीटा जाता था। रात 10 बजे जब महिलाओं को बैठकों में बुलाया जाता था, तब पुरुष घर पर ही रहते थे।
लगातार खराब होते हालात के बीच, राज्य के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी संदेशखाली क्षेत्र का दौरा किया और पीड़ित महिलाओं की बात सुनी। इस दौरान राज्यपाल ने महिलाओं को आश्वासन दिया कि उनकी कलाई पर राखी बांधने वाली महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए पूरी मदद की जाएगी।

विरोध प्रदर्श के चलते तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार की सुबह आरोपी उत्तम सरदार को उत्तर 24 परगना जिला परिषद सदस्य और तृणमूल के अंचल अध्यक्ष के पद से 6 साल के लिए सस्पेंड कर दिया। इसके कुछ ही घंटों बाद देर शाम पुलिस ने संदेशखाली से उत्तम सरदार को गिरफ्तार कर लिया।
तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता शीबू हाजरा को भी संदेशखाली से पकड़ा गया है।

संदेशखाली मामले को लेकर भाजपा ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में हिंसा और यौन उत्पीड़न की कथित घटनाओं के बारे में पता लगाने को लेकर एक पैनल का गठन किया है। इसमें केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों के छह सदस्यों को शामिल किया गया है। केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी को उच्च स्तरीय समिति के संयोजक के रूप में नामित किया गया है। पैनल के अन्य सदस्यों में प्रतिमा भौमिक, भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल, कविता पाटीदार, संगीता यादव और बृजलाल शामिल हैं। उन्हें घटना स्थल का दौरा करने, स्थिति का जायजा लेने, पीड़ितों से बात करने और अपनी रिपोर्ट भाजपा पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंपने का निर्देश दिया गया है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी गुरुवार को विधानसभा में संदेशखाली को लेकर कहा कि उन्होंने अपने जीवन में कभी किसी के साथ अन्याय नहीं होने दिया और न ही कभी होने देंगी। लेकिन संदेशखाली को लेकर पश्चिम बंगाल की सियासत गर्माई हुई है और मुख्य आरोपी शाहजहां शेख अभी तक गिरफ्तार नहीं हुआ है।

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