Facebook और Instagram चलाने के लिए देने होंगे पैसे? आखिर मेटा क्यों ले रही ये फैसला?

KNEWS DESK- फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स दुनियाभर में अत्यंत लोकप्रिय हैं, और लाखों लोग इनसे आय अर्जित कर रहे हैं। अब, मेटा (Meta) ने यूजर्स के अनुभव और कानूनी आवश्यकताओं के मद्देनजर कुछ महत्वपूर्ण बदलावों की योजना बनाई है।

हाल ही में, मेटा ने ब्रिटेन में एक उपभोक्ता, तान्या ओ’कैरेल, के साथ एक गोपनीयता मुकदमे में समझौता किया है। तान्या ने आरोप लगाया था कि मेटा ने उनकी अनुमति के बिना उनके व्यक्तिगत डेटा का उपयोग करके लक्षित विज्ञापन दिखाए। ब्रिटेन की सूचना आयुक्त कार्यालय (ICO) ने तान्या के पक्ष में समर्थन जताया, जिससे मेटा को यूके में रहने वाले व्यक्तियों को लक्षित विज्ञापन दिखाना बंद करने पर सहमत होना पड़ा। इस निर्णय के बाद, मेटा यूके में एक सदस्यता-आधारित, विज्ञापन-मुक्त संस्करण पेश करने पर विचार कर रही है, जैसा कि उसने यूरोपीय संघ में किया है।

2024 में, मेटा ने यूरोपीय संघ (EU), यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र (EEA), और स्विट्जरलैंड में एक विज्ञापन-मुक्त सदस्यता सेवा शुरू की थी। इस सेवा के माध्यम से, उपयोगकर्ता €9.99 प्रति माह का भुगतान करके फेसबुक और इंस्टाग्राम पर बिना विज्ञापन के अनुभव का आनंद ले सकते हैं। iOS और Android पर यह शुल्क अतिरिक्त €3 प्रति माह था, जो मोबाइल प्लेटफार्मों द्वारा लिए गए शुल्क को कवर करता था। यह कदम EU के डेटा संरक्षण नियमों के अनुपालन में था, और मेटा ने इसे उपयोगकर्ताओं को विकल्प प्रदान करने के रूप में प्रस्तुत किया था।

EU में उपयोगकर्ताओं के लिए, मेटा ने कम व्यक्तिगत विज्ञापनों का विकल्प भी पेश किया है। इस विकल्प में, उपयोगकर्ता अपनी गतिविधि के आधार पर कम डेटा का उपयोग करके संदर्भ-आधारित विज्ञापन देख सकते हैं। यह कदम EU नियामकों के दबाव में लिया गया था, जो उपयोगकर्ताओं को लक्षित विज्ञापनों से बाहर निकलने का विकल्प देना चाहते थे।

भारत में, फेसबुक और इंस्टाग्राम वर्तमान में मुफ्त हैं, और उपयोगकर्ताओं से कोई सदस्यता शुल्क नहीं लिया जाता है। हालांकि, मेटा की ये नई नीतियां और कानूनी चुनौतियां वैश्विक स्तर पर हैं, और भविष्य में भारत में भी कुछ बदलाव हो सकते हैं। उपयोगकर्ताओं को विज्ञापन-मुक्त अनुभव या कम विज्ञापन विकल्पों के लिए सदस्यता शुल्क का भुगतान करने का विकल्प मिल सकता है। लेकिन, वर्तमान में भारत में ऐसे किसी परिवर्तन की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

कुल मिलाकर, मेटा की ये पहलकदमियां उपयोगकर्ताओं को अधिक नियंत्रण और विकल्प प्रदान करने के उद्देश्य से हैं, लेकिन साथ ही कंपनी के लिए कानूनी अनुपालन और राजस्व मॉडलों को संतुलित करने की चुनौती भी प्रस्तुत करती हैं।

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