KNEWS DESK- आजकल स्मार्टफोन कंपनियां तेजी से eSIM टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दे रही हैं। हाल ही में लॉन्च हुआ iPhone Air सिर्फ eSIM सपोर्ट के साथ आता है और इसमें कोई फिजिकल सिम स्लॉट नहीं है। इसी तरह कई नई जनरेशन के स्मार्टफोन में अब फिजिकल सिम की जगह eSIM दी जा रही है। आइए जानते हैं कि eSIM क्या है, यह पारंपरिक सिम से कैसे अलग है और इसके फायदे-नुकसान क्या हैं।

eSIM क्या है और कैसे काम करती है
eSIM का पूरा नाम Embedded SIM है। यह फोन के अंदर पहले से लगी होती है और इसे निकाल या बदल नहीं सकते। यह डिजिटल सिम होती है जिसे मोबाइल नेटवर्क प्रोवाइडर के जरिए एक्टिव किया जाता है। eSIM एक्टिवेट करने के लिए यूजर को फिजिकल सिम की जरूरत नहीं होती। बस QR कोड स्कैन करें या नेटवर्क सेटिंग में जाकर eSIM एक्टिव करें। इसके फायदे में सबसे बड़ा यह है कि एक ही डिवाइस में कई नेटवर्क प्रोफाइल सेव किए जा सकते हैं, जिससे बार-बार सिम बदलने की झंझट खत्म हो जाती है।
फिजिकल सिम से कैसे अलग है eSIM?
- फिजिकल सिम: फोन में डालना और निकालना पड़ता है, नेटवर्क बदलने के लिए सिम बदलनी पड़ती है।
- eSIM: फोन के अंदर सॉफ्टवेयर बेस्ड होती है, नेटवर्क बदलना सेकंडों में सेटिंग बदलकर हो जाता है।
- डिजाइन में मदद: eSIM से फोन पतले और वॉटरप्रूफ बनाना आसान होता है क्योंकि सिम ट्रे की जरूरत नहीं होती।
eSIM के फायदे
- सुविधा: बिना सिम निकाले ऑपरेटर बदल सकते हैं।
- सुरक्षा: फोन खो जाने पर eSIM को आसानी से ब्लॉक किया जा सकता है।
- स्पेस बचत: डिवाइस पतला और हल्का बनाने में मदद करती है।
- कई नेटवर्क प्रोफाइल: एक ही eSIM में कई नेटवर्क सेव किए जा सकते हैं।
eSIM के नुकसान
- सभी मोबाइल ऑपरेटर और स्मार्टफोन eSIM को सपोर्ट नहीं करते।
- अगर फोन खराब हो जाए या सर्विस सेंटर जाना पड़े, तो eSIM ट्रांसफर करना मुश्किल हो सकता है।
- टेक्नोलॉजी में कम जानकार यूजर्स के लिए सेटअप थोड़ा कठिन हो सकता है।
भारत में eSIM की उपलब्धता
भारत में फिलहाल Jio, Airtel और Vi प्रमुख टेलीकॉम ऑपरेटर eSIM सर्विस दे रहे हैं। यह सुविधा iPhone, Samsung Galaxy, Google Pixel और कुछ Motorola मॉडल्स में उपलब्ध है। भविष्य में बजट फोन सेगमेंट में भी eSIM सपोर्ट बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि कंपनियां धीरे-धीरे फिजिकल सिम स्लॉट हटाने की दिशा में बढ़ रही हैं।
eSIM टेक्नोलॉजी मोबाइल जगत में एक बड़ा बदलाव लेकर आई है। यह सुविधा यूजर्स के लिए आसान, सुरक्षित और स्मार्टफोन डिजाइन के लिहाज से फायदेमंद है। हालांकि, अभी इसकी पहुंच सीमित है और पुराने यूजर्स के लिए इसका सेटअप चुनौतीपूर्ण हो सकता है।