KNEWS DESK- Sanchar Saathi ऐप को लेकर पिछले कुछ दिनों से जारी विवाद आखिरकार खत्म हो गया है। केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि अब यह ऐप किसी भी स्मार्टफोन में अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल नहीं किया जाएगा। यूजर्स खुद तय कर सकेंगे कि वे इसे डाउनलोड करना चाहते हैं या नहीं, और चाहें तो इसे कभी भी अपने मोबाइल से हटा सकते हैं।

सरकार ने हाल ही में सभी स्मार्टफोन निर्माताओं को निर्देश दिया था कि वे आने वाले 90 दिनों के भीतर अपने फोन्स में Sanchar Saathi ऐप को प्री-इंस्टॉल करना शुरू करें। इस आदेश के बाद गोपनीयता, निगरानी और यूजर स्वतंत्रता को लेकर सोशल मीडिया से लेकर टेक विशेषज्ञों तक, सभी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। विवाद बढ़ते ही संचार मंत्रालय ने आदेश वापस ले लिया।
क्यों वापस लिया गया आदेश?
1 दिसंबर को जारी आदेश के तुरंत बाद सरकार पर यह आरोप लगने लगे कि अनिवार्य प्री-इंस्टॉल से यूजर डेटा और मोबाइल डिवाइस पर सरकारी पहुंच बढ़ जाएगी। लोगों ने सवाल उठाया कि क्या यह ऐप किसी बड़े निगरानी सिस्टम का हिस्सा तो नहीं?इन चिंताओं और भारी आलोचना को देखते हुए संचार मंत्रालय ने 3 दिसंबर को आदेश वापस ले लिया।
सरकार का दावा: ऐप में किसी तरह का सर्विलांस मैकेनिज़्म नहीं
मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि Sanchar Saathi केवल सुरक्षा के उद्देश्य से बनाया गया है और यह किसी भी तरह यूजर की जासूसी नहीं करता। यह ऐप साइबर फ्रॉड रोकने और फर्जी मोबाइलों की पहचान में सहायता करने के लिए है।
यूजर्स के बढ़ते डाउनलोड ने बनाया मामला आसान
सरकार ने आदेश वापस लेने का एक और कारण बताया Sanchar Saathi की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता।
- आदेश जारी होने के बाद सिर्फ 1 दिन में 6 लाख नए रजिस्ट्रेशन हुए।
- यह सामान्य आंकड़ों से 10 गुना अधिक है।
- 2023 में लॉन्च हुआ यह ऐप अब तक 1.4 करोड़ यूजर्स हासिल कर चुका है।
- रोजाना लगभग 2,000 साइबर धोखाधड़ी मामलों की रिपोर्टिंग भी इसी ऐप से होती है।
- सरकार का कहना है कि लोग पहले ही इस ऐप को तेजी से अपना रहे हैं, इसलिए इसे अनिवार्य बनाने की जरूरत नहीं है।
Sanchar Saathi ऐप क्या है और क्यों हुआ विवाद?
Sanchar Saathi एक सरकारी ऐप है जो नागरिकों को कई सुरक्षा सुविधाएं देता है।
- फर्जी या डुप्लिकेट IMEI की शिकायत।
- खोए या चोरी हुए मोबाइल की रिपोर्टिंग।
- साइबर फ्रॉड अलर्ट।
- संदिग्ध कॉलों की जानकारी।
- मोबाइल कनेक्शन की निगरानी।
- DoT ने मार्च 2026 से इसे सभी नए फोन्स में पहले से इंस्टॉल करने का निर्देश दिया था।
विवाद इसलिए बढ़ा—
- विशेषज्ञों ने इसे यूजर की स्वतंत्रता पर हमला बताया।
- विपक्ष ने इसे “संभावित निगरानी टूल” करार दिया।
- टेक कम्युनिटी ने कहा- किसी भी सरकारी ऐप को जबरन फोन में डालना गलत मिसाल है।
अब क्या होगा?
- सरकार ने घोषणा की है कि Sanchar Saathi अब पूरी तरह स्वैच्छिक रहेगा।
- कोई भी निर्माता इसे अपने फोन्स में प्री-इंस्टॉल नहीं करेगा।
- यूजर चाहे तो इसे डाउनलोड कर सकता है।
- चाहे तो किसी भी समय अनइंस्टॉल भी कर सकता है।
सरकार का कहना है कि ऐप का केवल उद्देश्य सुरक्षा और साइबर फ्रॉड रोकथाम है, और इसे लेकर प्राइवेसी को नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है।
Sanchar Saathi ऐप को लेकर छिड़ा विवाद फिलहाल शांत हो गया है। सरकार का आदेश वापस लेने का फैसला प्राइवेसी को लेकर चिंतित यूजर्स के लिए राहत की खबर है। ऐप अब केवल उन्हीं लोगों के लिए उपलब्ध रहेगा जो स्वेच्छा से इसे इस्तेमाल करना चाहते हैं, जो कि डिजिटल स्वतंत्रता और पारदर्शिता की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।