‘भारतीयों की हायरिंग बंद करो’… AI समिट में डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा बयान, अमेरिकी कंपनियों को चेतावनी

KNEWS DESK – अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी “America First” नीति को ज़ोरदार तरीके से उठाया है। इस बार निशाने पर रहीं दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियां—Google, Microsoft, Meta जैसी दिग्गजों को ट्रंप ने कड़ा संदेश देते हुए कहा कि वे भारत जैसे देशों से हायरिंग बंद करें और अमेरिकी टैलेंट को तरजीह दें।

वॉशिंगटन AI समिट में ट्रंप का बड़ा बयान

वॉशिंगटन में आयोजित AI Summit 2025 के दौरान ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी टेक कंपनियां देश की स्वतंत्रता का फायदा उठाकर बाहरी टैलेंट में निवेश कर रही हैं, जबकि देश के अंदर मौजूद प्रतिभा को नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “हमें ऐसी कंपनियां चाहिए जो अमेरिका में रहें, अमेरिकी लोगों को हायर करें और राष्ट्र के प्रति समर्पण दिखाएं।”

“भारत से हायरिंग, चीन में फैक्ट्री”

ट्रंप ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि बड़ी टेक कंपनियां भारत से इंजीनियर और कर्मचारी हायर कर रही हैं और चीन में फैक्ट्रीज लगा रही हैं। उन्होंने इसे “अमेरिका के साथ धोखा” बताते हुए कहा कि “ये कंपनियां अपने ही देश के लोगों की उपेक्षा कर रही हैं और मुनाफे के लिए ग्लोबल मॉडल को अपनाकर देशहित को पीछे छोड़ रही हैं।”

यह बयान ऐसे समय में आया है जब दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में भारतीय मूल के टॉप लीडर्स मौजूद हैं—जैसे Google के CEO सुंदर पिचाई, Microsoft के CEO सत्य नडेला, Adobe के CEO शांतनु नारायण और अन्य। इन कंपनियों में हजारों भारतीय इंजीनियर और डिवेलपर काम कर रहे हैं, जो इन संस्थानों की रीढ़ बन चुके हैं।

ट्रंप की नीति: अमेरिका फर्स्ट

पूर्व राष्ट्रपति ने अपने भाषण में बार-बार “America First” नीति को दोहराया। उन्होंने AI के क्षेत्र में तेजी से बदलते परिदृश्य का हवाला देते हुए कहा कि अमेरिका को अब ऐसे कॉर्पोरेशंस की ज़रूरत है जो अमेरिका में इनोवेशन करें, अमेरिका के नागरिकों को काम दें और तकनीकी क्षेत्र में राष्ट्रीय भावना के साथ आगे बढ़ें।

भारत-अमेरिका टेक रिलेशनशिप पर असर?

ट्रंप के इस बयान के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या अमेरिका की बड़ी कंपनियां अब भारतीय टैलेंट को हायर करने से पीछे हटेंगी? Infosys, TCS और HCL जैसी भारतीय कंपनियां अमेरिका के कई क्लाइंट्स के लिए प्रोजेक्ट्स पर काम करती हैं और वहां की जरूरतों को पूरा करती हैं। ऐसे में ट्रंप की यह बयानबाजी दोनों देशों के टेक्नोलॉजिकल संबंधों पर असर डाल सकती है।