KNEWS DESK – दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपति एलन मस्क की कंपनी SpaceX अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस Starlink को भारत में लॉन्च करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। कंपनी ने देश में हायरिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे साफ है कि स्टारलिंक अब भारतीय बाजार में अपनी आधिकारिक शुरुआत के बेहद करीब है। यह पहली बार है जब मस्क की किसी कंपनी ने भारत में इतने बड़े स्तर पर भर्ती अभियान चलाया है।

बेंगलुरु बना Starlink का ऑपरेशनल हब
स्टारलिंक ने भारत में अपने ऑपरेशन की शुरुआत बेंगलुरु से की है। कंपनी ने यहां फाइनेंस और अकाउंटिंग से जुड़ी कई पोजीशनों के लिए हायरिंग शुरू की है। इनमें प्रमुख पद शामिल हैं|
- पेमेंट्स मैनेजर
- अकाउंटिंग मैनेजर
- सीनियर ट्रेजरी एनालिस्ट
- टैक्स मैनेजर
कंपनी ने साफ किया है कि ये सभी पद केवल भारतीय उम्मीदवारों के लिए हैं और काम ऑन-साइट मोड में ही होगा, यानी रिमोट या हाइब्रिड वर्क का विकल्प नहीं मिलेगा।
2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में लॉन्च होगी सर्विस
रिपोर्ट्स के अनुसार, स्टारलिंक का लक्ष्य है कि 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत तक भारत में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू कर दी जाए। इसके लिए कंपनी देशभर में ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रही है। मुंबई, चेन्नई और नोएडा जैसे बड़े शहरों में गेटवे स्टेशन बनाए जा रहे हैं, ताकि नेटवर्क कवरेज और स्पीड दोनों बेहतर रहे।

कर्मचारियों को मिलेगा इंटरनेशनल एक्सपोजर और हाई सैलरी पैकेज
एलन मस्क की कंपनियों — Tesla और SpaceX — की तरह ही, Starlink में काम करने वाले कर्मचारियों को भी बेहतरीन सैलरी पैकेज, अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर और लॉन्ग-टर्म करियर ग्रोथ का मौका मिलेगा। भारत में चयनित प्रोफेशनल्स को कंपनी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार पे-स्केल ऑफर करने की योजना बना रही है।
टेस्टिंग और सिक्योरिटी ट्रायल जारी
हाल ही में स्टारलिंक ने मुंबई में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस का डेमो पेश किया। यह प्रदर्शन भारत की कानून प्रवर्तन एजेंसियों (LEAs) के सामने हुआ। एजेंसियां कंपनी की सिक्योरिटी सिस्टम और वैध इंटरसेप्शन प्रोटोकॉल्स की जांच कर रही हैं। ये ट्रायल भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) के दिशानिर्देशों के तहत किए जा रहे हैं। सभी तकनीकी और सुरक्षा मानकों पर पास होने के बाद ही स्टारलिंक को देश में कमर्शियल स्पेक्ट्रम अलॉटमेंट मिलेगा।
स्टारलिंक के हजारों सैटेलाइट पहले से ही पृथ्वी की कक्षा में सक्रिय हैं और अमेरिका, कनाडा, जापान, ब्रिटेन समेत कई देशों में हाई-स्पीड इंटरनेट दे रहे हैं। अब भारत में इसके आने से उन ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में भी इंटरनेट पहुंच सकेगा जहां अब तक ब्रॉडबैंड सेवाएं नहीं पहुंच पाई हैं।