KNEWS DESK- भारतीय क्रिकेट टीम के युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज़ ऋषभ पंत ने इंग्लैंड के खिलाफ हेडिंग्ले टेस्ट में दोनों पारियों में शतक जड़कर एक नया इतिहास रच दिया है। वे विदेशी धरती पर टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक लगाने वाले दुनिया के पहले विकेटकीपर बन गए हैं। जहां एक ओर यह उपलब्धि उनकी तकनीकी और मानसिक मजबूती का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह एक प्रेरणादायक कहानी है—एक खिलाड़ी की आलोचना से संघर्ष और फिर शानदार वापसी की।
कुछ महीने पहले तक पंत का करियर संकट में था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में खासकर मेलबर्न टेस्ट के दौरान एक गैर-जिम्मेदाराना शॉट ने उनकी काफी आलोचना करवाई थी। पंत ने पहली पारी में एक रैंप शॉट खेलने की कोशिश की थी, जिसमें वह आउट हो गए। क्रिकेट दिग्गज सुनील गावस्कर तक ने कमेंट्री के दौरान उन्हें “बेवकूफ, बेवकूफ, बेवकूफ” कहकर खरी-खोटी सुनाई थी। उस सीरीज में भारत को करारी हार मिली थी।
इस आलोचना ने पंत को गहराई से झकझोर दिया। उन्होंने महसूस किया कि न सिर्फ उन्हें अपने खेल में, बल्कि जीवनशैली में भी बड़े बदलाव करने होंगे। मार्च 2025 में पंत ने अपने मोबाइल से व्हाट्सएप डिलीट कर दिया और फोन का इस्तेमाल बेहद सीमित कर दिया। इसके बजाय उन्होंने खुद को फिटनेस और बल्लेबाज़ी में झोंक दिया।
भारत के पूर्व स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच सोहम देसाई ने बताया कि पंत का समर्पण देखकर वे भी हैरान थे। देसाई के अनुसार, “वह दिन-रात सबसे कठिन सेशन करता था। जब भी वह खाली होता, तो मुझे जिम में खींचकर ले जाता था। उसे थकान या वर्कलोड की कोई परवाह नहीं थी। उसका एक ही लक्ष्य था—खुद को बेहतर बनाना।”
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में भारत की विजेता टीम का हिस्सा होने के बावजूद पंत को एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला था। लेकिन उन्होंने टीम से बाहर रहने के समय को भी एक अवसर के रूप में लिया और अपनी मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इसी समर्पण का नतीजा था हेडिंग्ले टेस्ट में शानदार वापसी। पंत ने पहली पारी में 134 और दूसरी पारी में 118 रन बनाए। यह भले ही भारत यह मुकाबला पांच विकेट से हार गया, लेकिन पंत की बल्लेबाज़ी ने सभी का दिल जीत लिया। दुनिया भर के क्रिकेट विशेषज्ञों और प्रशंसकों ने उनकी तकनीक, धैर्य और मानसिक मज़बूती की सराहना की।
ऋषभ पंत की यह कहानी सिर्फ क्रिकेट के मैदान की नहीं, बल्कि आत्म-विश्लेषण, अनुशासन और पुनर्निर्माण की है। आलोचना के बाद खुद को टूटने देने के बजाय उन्होंने उसे अपनी ताकत बनाया। अब वह न केवल एक भरोसेमंद विकेटकीपर-बल्लेबाज़ हैं, बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन चुके हैं।
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