KNEWS DESK- क्रिकेट के मैदान पर जब भारत ने एजबेस्टन टेस्ट में इंग्लैंड को करारी शिकस्त दी, तो इस ऐतिहासिक जीत के हीरो बने एक युवा तेज गेंदबाज — आकाश दीप। इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए इस दूसरे टेस्ट में आकाश ने कुल 10 विकेट चटकाकर अपनी प्रतिभा का ऐसा जलवा दिखाया कि देशभर में उनकी चर्चा शुरू हो गई। लेकिन आकाश दीप की इस सफलता के पीछे एक लंबी, दर्दभरी और प्रेरक कहानी छिपी है, जो हर युवा को साहस और दृढ़ता का संदेश देती है।
रोहतास जिले के सासाराम के पास बड्डी गांव में जन्मे आकाश दीप का क्रिकेटर बनने का सपना उन परिस्थितियों में पला-बढ़ा, जहां न संसाधन थे, न समर्थन। उनके पिता, स्व. रामजी सिंह, एक स्कूल शिक्षक थे जो अपने बच्चों को पढ़ाई-लिखाई के जरिए जीवन संवारने का सपना देखते थे। गांव में क्रिकेट को गंभीरता से नहीं लिया जाता था — यहां तक कि आकाश को अक्सर छुपकर क्रिकेट खेलना पड़ता था।
मैच के बाद वायरल हुए एक इंटरव्यू में आकाश ने कहा, “गांव में क्रिकेट को समय की बर्बादी माना जाता था। माता-पिता अपने बच्चों को मुझसे दूर रहने को कहते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि क्रिकेट खेलने से भविष्य खराब हो जाएगा।”
वे रात में नाइट टूर्नामेंट खेलते, कई बार मैदान पर ही सो जाते और सुबह चुपचाप घर लौटते। आकाश के लिए क्रिकेट कोई खेल नहीं, एक जुनून और जीवन का मकसद था।
आकाश की जिंदगी का सबसे कठिन दौर तब आया, जब उन्होंने महज 19 साल की उम्र में अपने पिता और कुछ महीनों बाद अपने बड़े भाई को खो दिया। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। आर्थिक तंगी, भावनात्मक अकेलापन और सामाजिक उपेक्षा के बीच आकाश ने क्रिकेट को अपना सहारा बनाया।
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन पर लगे प्रतिबंध की वजह से आकाश को अपने राज्य में खेलने का मौका नहीं मिला। लेकिन उन्होंने बंगाल का रुख किया, जहां उनकी तेज गेंदबाजी की प्रतिभा को पहचान मिली। घरेलू क्रिकेट में उन्होंने लगातार शानदार प्रदर्शन किया और जल्द ही भारत ए और फिर राष्ट्रीय टीम का दरवाज़ा उनके लिए खुला।
जसप्रीत बुमराह की गैरमौजूदगी में जब उन्हें एजबेस्टन टेस्ट में खेलने का मौका मिला, तो आकाश ने उसे पूरी तरह भुनाया। उन्होंने दोनों पारियों में मिलाकर 10 विकेट चटकाए, जिसमें कई शीर्ष इंग्लिश बल्लेबाजों के विकेट शामिल थे। उनकी सटीक लाइन-लेंथ, स्विंग और आक्रामकता ने इंग्लैंड की बल्लेबाजी को झकझोर कर रख दिया।
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