दशहरे पर पान और जलेबी खाने की परंपरा: क्या है इसके पीछे की वजह?

KNEWS DESK, भारत में विजयदशमी, जिसे दशहरा भी कहते हैं, हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और इस साल यह 12 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन रावण के पुतले का दहन कर लोग भगवान श्री राम की विजय का उत्सव मनाते हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। खासकर कुछ जगहों पर दशहरे के दिन पान और जलेबी खाने की परंपरा है। आइए जानते हैं, इसके पीछे का कारण।

 

 

दशहरे पर पान खाने की परंपरा

दशहरे के दिन पान खाने की परंपरा का विशेष महत्व है। कई संस्कृतियों में पान को स्वास्थ्य, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि रावण दहन के बाद लोग एक-दूसरे को पान खिलाकर गले मिलते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है। पान खिलाने का उद्देश्य आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ाना है, और यह इस दिन को विशेष रूप से शुभ बनाता है।

दशहरे पर जलेबी खाने की परंपरा

जलेबी, मिठाई के रूप में भगवान श्री राम की जीत का जश्न मनाने का प्रतीक है। रावण दहन के बाद कुछ लोग जलेबी खाते हैं, ताकि इस विशेष अवसर को मिठास के साथ मनाया जा सके। यह विजय के आनंद को साझा करने और खुशी व्यक्त करने का एक तरीका है। यही कारण है कि दशहरे के दिन जलेबी खाने की परंपरा है, जो वर्षों से चली आ रही है।

दशहरे के अवसर पर पान और जलेबी का सेवन केवल स्वाद या आनंद के लिए नहीं, बल्कि इसके पीछे सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं जुड़ी होती हैं, जो इस दिन को और भी खास बना देती हैं।

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