Knews India, अयोध्या के कण-कण में भगवान राम हैं। इसी का एक उदाहरण अयोध्या के अंदरूनी इलाके ‘मणिराम की छावनी’ में देखने को मिलता है। यहां एक अनोखा बैंक है जिसे अंतर्राष्ट्रीय श्री सीताराम नाम बैंक के नाम से जाना जाता है। पांच दशक पहले शुरू किए गए इस बैंक में 35 हजार से ज्यादा खाताधारक हैं। इनमें से कुछ अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, नेपाल, फिजी और यूएई समेत दूसरे देशों से हैं। इस बैंक में रुपये पैसे का कोई लेन-देन या जमा-निकासी नहीं होती है। बैंक में केवल सीताराम लिखी किताबें हैं।
शाखा प्रबंधक पुनीत रामदास महाराज बताते हैं , “यहां पर आ करके लोग सीताराम बैंक, सीताराम, सीताराम ले करके जमा करते हैं। यहां पर आपको कॉपी फ्री मिलेगी। ये भर जाए तो बाजार की, घर की किसी कॉपी में लिख सकते हैं। जो संख्या है आधार लक्षित सीताराम लिखेगी, तो आपको नाम से खाता खुलेगा, पास मिलेगा। मिलेगा। विशेषकर आत्म कल्याण के लिए लिखा जाता है। सभी जपो अद्भुत श्रेय जो है वो सीताराम नाम लिखने में है। एक नाम में सौ नाम। हर मनुष्य को कम से कम 84 लाख बार राम-राम या सीताराम लिखना चाहिए।”
रामभक्तों को बैंक की तरफ से सीताराम लिखने के लिए पुस्तिका फ्री में मिलती है। पुस्तिका में कम से कम पांच लाख बार सीताराम लिखने पर बैंक की तरफ से खाताधारक को पासबुक मिलती है। बैंक की देश और विदेश में 130 से ज्यादा शाखाएं हैं, जिनका मुख्यालय अयोध्या में है। यहां से देश-विदेश में कहीं भी घर बैठे पुस्तिका मंगा सकते हैं और लिखकर भेज भी सकते हैं।
खाताधारक जीतू सिंह के कहा, “मैं श्री सीताराम नाम का लेखन विगत 14 वर्ष पूरे होने वाले हैं। और मैं एक करोड़ 47 लाख 525 अभी तक श्री सीताराम नाम का जप कर चुका हूं। ऐसा श्री सीताराम नाम के जप का नियमित आधार रखा गया है 84 लाख। 84 लाख श्री सीताराम नाम का जो व्यक्ति लेखन जप करता है। उसे 84 लाख योनियों से मुक्ति मिल जाता है। ऐसा आनंद रामायण में दिया गया है।”
इस बैंक की शुरुआत 1970 में श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास ने की थी। ऐसा माना जाता है कि जिन खाताधारकों ने 84 लाख बार ‘सीताराम’ लिख लिया है, उन्हें मोक्ष मिल जाएगा।
श्रद्धालु दशकों से बैंक से राम नाम की पुस्तिका ले रहे हैं। इस बैंक ने अयोध्या आने वाले हर रामभक्त को अपनी ओर आकर्षित किया है।