हर साल क्यों मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा, जानें इसका पौराणिक महत्व, नोट करें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

KNEWS DESK- हिंदू धर्म में विश्वकर्मा पूजा खूब धूम धाम से की जाती है| 17  सितम्बर यानी आज सभी लोग ये पर्व मना रहे हैं| भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला शिल्पकार माना जाता है| विश्वकर्मा पूजा के दिन यंत्र और औजारों की पूजा की जाती है| चलिए आपको बताते हैं- विश्वकर्मा पूजा की तिथि, पूजा का मुहूर्त और पूजा की विधि

विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक हैं| एक और मुहूर्त है जिसे और भी खास माना गया है जो 17 सितंबर, रविवार को दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से 3 बजकर 30 मिनट तक का है|

विश्वकर्मा पूजा के दिन काम में आने वाले हर तरह के औजार व यंत्रों की साफ सफाई करके भगवान विश्वकर्मा का चित्र स्थापित कर विधिवत पूजा अर्चना की जाती है| इसके लिए मिठाई, फल फूल, अक्षत, पंचमेवा और पंचामृत का भोग लगाया जाता है| आरती के बाद सभी को प्रसाद बांटा जाता है|

मान्यता के अनुसार,  प्राचीन काल के सभी प्रसिद्ध नगरों का निर्माण विश्वकर्मा भगवान द्वारा किया गया है| यहां तक कि उन्होंने स्वर्ग से लेकर लंका, द्वारका जैसे नगरों के साथ साथ भगवान शंकर के त्रिशूल, हनुमान भगवान की गदा, यमराज का कालदंड, कर्ण के कुंडल व कवच तक का निर्माण किया है| यही कारण है कि हर तरह के यंत्रों और औजारों से अच्छी तरह काम करने के लिए भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद लिया जाता है| विश्वकर्मा पूजा के दिन विधिविधान से उनकी पूजा करने से सभी भक्तों पर उनकी कृपा बनी रहती है और व्यवसाय में वृद्धि होती है|

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