KNEWS DESK- हिंदू धर्म में विवाह केवल एक सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि सोलह संस्कारों में से एक पवित्र अनुष्ठान है। ‘विवाह’ शब्द ‘वि’ यानी विशेष और ‘वाह’ यानी वहन करने से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है विशेष गुणों और कर्तव्यों का वहन करना। हिंदू शास्त्रों में पति-पत्नी के संबंध को जन्म-जन्मांतर का बंधन माना गया है। इसी पवित्र बंधन की शुरुआत होती है दुल्हन के सोलह श्रृंगार से, जिनमें से एक है काजल (अंजन) लगाना।

सोलह श्रृंगार का महत्व
विवाह में दुल्हन को सजाना केवल सौंदर्य से जुड़ा कार्य नहीं, बल्कि शुभता, सौभाग्य और दिव्यता का प्रतीक है। रामायण में भी विवाह के समय नववधू द्वारा किए जाने वाले श्रृंगारों का उल्लेख मिलता है। जब देवी सीता विवाह से पूर्व श्रृंगार कर रही थीं, तब उनकी माता ने उन्हें सोलह श्रृंगारों की महत्ता समझाई ये श्रृंगार नारी की पूर्णता, ऊर्जा और सौभाग्य के प्रतीक माने जाते हैं।
विवाह में दुल्हन को काजल लगाना क्यों जरूरी है?
जब माता सीता की आंखों में काजल लगाया जा रहा था, तब उन्होंने अपनी माता से इसका कारण पूछा। इस पर उनकी माता ने कहा—“काजल का अर्थ है कि अब से तुम्हें अपनी आंखों में शीलता, संयम और सौम्यता का जल धारण करना होगा।” यही कारण है कि विवाह में दुल्हन को काजल लगाए बिना सोलह श्रृंगार अपूर्ण माना जाता है। यह केवल सौंदर्य का साधन नहीं, बल्कि एक गहरी सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है।
काजल से जुड़ी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं
बुरी नजर से रक्षा
मान्यता है कि काजल दुष्ट दृष्टि से बचाता है। विवाह के समय दुल्हन सबसे अधिक ध्यान का केंद्र होती है, इसलिए उसे बुरी नजर से बचाने के लिए काजल लगाया जाता है।
सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक
काजल को शुभता का प्रतीक माना जाता है। इसे लगाने से नवविवाहित के जीवन में सौभाग्य, खुशियां और समृद्धि आने का आशीर्वाद निहित है।
प्रेम और मधुरता का संकेत
परंपराओं के अनुसार काजल रिश्तों में मधुरता, प्रेम और विश्वास बनाए रखने का प्रतीक माना जाता है। यह दांपत्य जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है।
आंखों को शीतलता और सुरक्षा
प्राकृतिक काजल आंखों को ठंडक देता है और उन्हें स्वस्थ बनाए रखता है। प्राचीन काल में यह औषधीय गुणों के कारण भी उपयोग में लाया जाता था।
नारी सौंदर्य की पूर्णता
काजल नारी के रूप को निखारता है और आंखों की सुंदरता को दूना कर देता है। भारतीय सौंदर्य परंपरा में यह अनिवार्य अंग माना गया है।
दुल्हन को काजल लगाना केवल एक मेकअप ट्रेंड नहीं, बल्कि परंपरा, आस्था और संस्कृति का संगम है। यह नववधू के नए जीवन की शुरुआत को शुभ बनाता है और उसे दैवीय संरक्षण का संदेश देता है। युगों से चली आ रही यह परंपरा आज भी उतनी ही पवित्र और महत्वपूर्ण मानी जाती है। काजल सौंदर्य का आभूषण, संस्कृति का प्रतीक और आस्था की परछाईं।