KNEWS DESK, नवरात्रि के अवसर पर, नीलकंठ पक्षी को देखना एक विशेष धार्मिक मान्यता है। मान्यता है कि विजयादशमी के दिन इस पक्षी का दर्शन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है। आइए जानते हैं नीलकंठ पक्षी के दर्शन के पीछे के 5 महत्वपूर्ण कारण, जिन्हें जानकर आप भी इस परंपरा की महत्ता को समझ सकेंगे।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, नीलकंठ पक्षी को देखना मां दुर्गा और भगवान शिव की कृपा का प्रतीक माना जाता है। विजयादशमी के दिन यदि आप इस पक्षी का दर्शन करते हैं तो यह संकेत है कि आपकी मनोकामनाएं जल्द पूरी होंगी। यह विश्वास है कि कठिनाईयों से पार निकलने में यह पक्षी आपकी मदद करेगा। वहीं पौराणिक कथा के अनुसार भगवान राम ने रावण का वध करने से पहले नीलकंठ पक्षी का दर्शन किया था। इसी कारण नीलकंठ का संबंध बुराई पर अच्छाई की विजय से जोड़ा जाता है। दुर्गा पूजा के दौरान इसका दर्शन अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि यह बुराई के नाश और सत्य की विजय का प्रतीक है। नीलकंठ पक्षी को विष्णु पुराण में भगवान विष्णु का वाहन माना गया है जबकि शिव पुराण में इसे भगवान शिव का गण माना जाता है। इसके अलावा कई धार्मिक ग्रंथों में इसे मां दुर्गा की सहचरी बताया गया है जो उनके मार्गदर्शन में सहायक होती है।
भारतीय लोक संस्कृति में नीलकंठ पक्षी को जीत का प्रतीक माना जाता है। इसे देखने से यह विश्वास होता है कि आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आएगी। लोग इस दिन इस पक्षी की खोज में दूर-दूर तक जाते हैं क्योंकि इसकी उपस्थिति को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। नीलकंठ पक्षी केवल धार्मिक मान्यता तक सीमित नहीं है। यह कृषि के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों और विषैले सांपों का शिकार करता है। किसान इसे अपना मित्र मानते हैं जो पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। वहीं दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व से भी महत्वपूर्ण है। इस परंपरा को अपनाकर हम न केवल अपनी आस्था को मजबूत करते हैं इसके अलावा पर्यावरण और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी समझते हैं।