विश्वकर्मा पूजा क्यों की जाती है? जानें कौन से दो शुभ योग बन रहें इस साल…

KNEWS DESK- विश्वकर्मा पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जिसे विशेष रूप से तकनीकी पेशेवरों, कारीगरों, और निर्माण क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों द्वारा मनाया जाता है। यह पूजा भगवान विश्वकर्मा को समर्पित होती है, जो वास्तुकला और निर्माण के देवता माने जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्गलोक और अन्य दिव्य संरचनाओं का निर्माण किया था, जिसमें इंद्रलोक और पुष्पक विमान शामिल हैं। उनके द्वारा किए गए निर्माण कार्यों में बेजोड़ कला और कुशलता का प्रतीक माना जाता है।

विश्वकर्मा पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त करना और निर्माण कार्यों में सफलता की प्रार्थना करना होता है। इस दिन कारखानों, मशीनों, औजारों, और तकनीकी उपकरणों की पूजा की जाती है, और इनका विशेष सम्मान किया जाता है। पूजा के दौरान, लोग अपने कार्यस्थलों पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर की पूजा करते हैं, विशेष मंत्रों का जाप करते हैं और अपने उपकरणों को साफ कर उन्हें सजाते हैं।यह पूजा हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में यह दिन अलग हो सकता है। विश्वकर्मा पूजा तकनीकी और निर्माण क्षेत्र में कार्यरत व्यक्तियों के लिए प्रेरणा और समर्पण का प्रतीक होती है, और यह भारतीय संस्कृति और परंपरा के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस पर्व के माध्यम से लोग भगवान विश्वकर्मा से निर्माण कार्यों में सफलता, समृद्धि, और सुरक्षा की कामना करते हैं।

इस वर्ष कन्या संक्रांति 16 सितंबर को है, इसलिए विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर, सोमवार को होगी। इसी दिन सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करेंगे और सौर कैलेंडर का छठा महीना कन्या राशि से शुरू होगा।

2 शुभ योग में विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा पूजा पर इस बार दो महत्वपूर्ण शुभ योग बन रहे हैं। सुकर्मा योग प्रात:काल से लेकर 11 बजकर 42 मिनट तक रहेगा, उसके बाद धृति योग का प्रभाव होगा। रवि योग शाम 4 बजकर 33 मिनट पर प्रारंभ होगा और 17 सितंबर को सुबह 6 बजकर 7 मिनट तक रहेगा।

विश्वकर्मा पूजा मुहूर्त

16 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा सुकर्मा योग में की जा सकती है। सुबह का शुभ समय 6 बजकर 23 मिनट से 9 बजकर 14 मिनट तक है। अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। लाभ-उन्नति मुहूर्त सुबह 6 बजकर 23 मिनट से 7 बजकर 49 मिनट तक है, और अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 7 बजकर 49 मिनट से 9 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। धनिष्ठा नक्षत्र प्रात:काल से शाम 4 बजकर 33 मिनट तक रहेगा, इसके बाद शतभिषा नक्षत्र रहेगा।

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published.