KNEWS DESK- भारत में मृत्यु को जीवन का अंतिम पड़ाव नहीं, बल्कि एक नए लोक की ओर यात्रा माना जाता है। ऐसे कठिन समय में परिवार और समाज एकजुट होकर दुख साझा करते हैं, और इस दौरान सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनना एक आम प्रथा है। यह परंपरा केवल धर्म पर आधारित नहीं है, बल्कि भावनाओं, मान्यताओं और सांस्कृतिक मूल्यों का गहरा संदेश देती है।
आइए समझते हैं कि शोक में सफेद वस्त्र धारण करने की परंपरा क्यों निभाई जाती है और इसका क्या महत्व है।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
शुद्धता और पवित्रता का भाव
सफेद रंग भारतीय संस्कृति में पवित्रता और निष्कलंकता का प्रतीक माना जाता है। मृत्यु के बाद माना जाता है कि आत्मा सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर अपने नए मार्ग की ओर अग्रसर होती है।
इस स्थिति में सफेद वस्त्र धारण करना मृतक की आत्मा के लिए शुद्ध, शांत और पवित्र वातावरण का निर्माण करने जैसा है।
वैराग्य और त्याग का संदेश
मृत्यु हमें जीवन की अस्थिरता और अनिश्चितता का एहसास कराती है। सफेद रंग पहनना इस बात का प्रतीक है कि मनुष्य को मोह-माया से ऊपर उठकर जीवन के असली सत्य को स्वीकार करना चाहिए।
यह रंग त्याग, संयम और वैराग्य की भावना जगाता है।
शांति और मानसिक संतुलन
सफेद रंग मन को शांत करता है और भावनाओं को स्थिर रखता है।
शोक के क्षणों में यह रंग परिवार को मानसिक शक्ति, संबल और आत्मसंयम प्रदान करता है, जिससे वे दुख को समझकर स्वीकार कर सकें।
नई शुरुआत का प्रतीक
भारतीय दर्शन में मृत्यु अंत नहीं है, बल्कि एक नई यात्रा की शुरुआत है।
सफेद वस्त्र धारण करना आत्मा के अगले अध्याय के लिए शुभकामना व्यक्त करने का प्रतीक भी माना जाता है।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
समानता और एकता का रंग
सफेद रंग बिना भेदभाव का, सरल और तटस्थ है। शोक के समय लोग इस रंग को इसलिए पहनते हैं ताकि परिवार के साथ दुख साझा करने में कोई सामाजिक अंतर दिखाई न दे।
यह परिजनों के प्रति सम्मान और संवेदना का सहज और विनम्र तरीका है।
ध्यान हटाने से बचना
गहरे, चमकीले और आकर्षक रंग उत्सव और प्रसन्नता से जुड़े होते हैं।
शोक के समय ऐसे रंग पहनना अनुचित माना जाता है, इसलिए सफेद वस्त्रों का चयन किया जाता है ताकि कोई भी चीज वातावरण की गंभीरता और संवेदना को कम न करे।
अन्य संस्कृतियों में शोक का रंग
भारत में जहां सफेद रंग शोक का प्रतीक है, वहीं दुनिया के कई देशों में काला रंग दुख का प्रतिनिधित्व करता है। पश्चिमी देशों में काले वस्त्र पहनना शोक प्रकट करने का सामान्य तरीका है। इस तरह रंगों की यह परंपरा संस्कृति और मान्यताओं के अनुसार बदलती है, लेकिन उद्देश्य हर जगह एक ही है। दिवंगत आत्मा को सम्मान देना और परिवार के दुख में सहभागी होना।
किसी प्रियजन की मृत्यु जीवन का सबसे दुखद अनुभव होता है। ऐसे समय में सफेद वस्त्र पहनना भारतीय संस्कृति की एक गहरी और संवेदनशील परंपरा है। यह रंग शुद्धता, वैराग्य, शांति और नई शुरुआत का प्रतीक है।
यह केवल वस्त्रों का चयन नहीं, बल्कि दिवंगत आत्मा के प्रति सम्मान, परिवार के सदस्यों के प्रति सहानुभूति और समाज की एकजुटता की शांत अभिव्यक्ति है। सफेद कपड़े पहनना इस कठिन घड़ी में संवेदना और सांत्वना का एक मौन, लेकिन अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है।