KNEWS DESK- रामायण में कई ऐसे रोचक किस्से मिलते हैं जो हैरान कर देने वाले हैं| इन्हीं में से एक किस्सा है माता सीता और एक तोते का| मान्यता है कि वनवास के समय माता सीता को एक तोते ने भयंकर श्राप दे दिया था| चलिए हम आपको इसका पूरा किस्सा सुनाते हैं|
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार सीता माता ने नर-मादा तोता को अपने पास रख लिया था| कहा जाता है कि उनमें से एक मादा तोता की कुछ कारणों से मृत्यु हो गई। जब मादा तोता मर गया तो उसे देखकर नर (तोता) ने सीता माता को श्राप दे दिया| नर तोता ने माता सीता को श्राप देते हुए कहा कि जिस प्रकार उसे अपने साथी के बिछड़ने का कष्ट हुआ| वैसे ही सीता माता को वियोग (पति से अलग होने का कष्ट) होगा|
माता सीता के जन्म को लेकर कई मान्यताएं और कथाएं प्रचलित हैं| महर्षि वाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण के अनुसार, एक बार राजा जनक खेत में हल चला रहे थे| उस समय उनकी नजर एक कन्या पर पड़ी, जिसके बाद उन्होंने उस कन्या को अपने घर लाकर उसका पालन-पोषण किया| राजा जनक को हल चलाते समय कन्या मिली और हल के आगे के हिस्से को ‘सीता’ कहा जाता है| इसलिए ऐसी मान्यता है कि राजा जनक ने कन्या का नाम ‘सीता’ रखा| हालांकि सीता माता को जानकी और वैदेही इत्यादि अन्य नामों से भी जानते हैं|
दूसरी पौराणिक कथा के मुताबिक, सीता जी मंदोदरी और रावण की पुत्री थीं| कहा जाता है कि माता सीता वेदवती नाम की महिला की पुनर्जन्म थीं| मान्यता के अनुसार, रावण के प्रकोप से बचने के लिए उन्होंने आत्मदाह कर लिया था| वेदवती ने ऐसा करने से पहले रावण को श्राप दिया था कि दूसरे जन्म में उसकी बेटी बनकर उसका (रावण) विनाश करेंगी| समय आने पर मंदोदरी (रावण की पत्नी) ने पुत्री को जन्म दिया| यह जानकर रावण को वेदवती का श्राप याद आया, जिसके बाद रावण ने अपनी पुत्री को समुद्र में छोड़ दिया| कहते हैं कि समुद्र की देवी ने उस कन्या को धरती माता के हवाले कर दिया| वही कन्या आगे चलकर सुनैना देवी (जनक की पत्नी) और राजा जनक की बेटी सीता के नाम से पहचानी गई|