रिपोर्ट – कान्तापाल
नैनीताल – देश भर में 51 शक्तिपीठ हैं, और इन्हीं में से एक है नैनीताल की नैना देवी मां। नयना देवी मंदिर की मान्यता है कि मां नैना के दरबार में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से आता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है। यही कारण है कि यहां न केवल स्थानीय लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी है, बल्कि साल भर देश-विदेश के सैलानी भी यहां मत्था टेकने पहुंचते हैं।
नैनीताल में शारदीय नवरात्रों की धूम
बता दें कि इन दिनों नैनीताल में शारदीय नवरात्रों की धूम है। सुबह से ही नैनीताल की मां नैना देवी में स्थानीय लोगों के साथ सैलानी भी मां नयना देवी की पूजा-अर्चना कर रहे हैं और अपनी खुशहाली के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। नवरात्रि के मौके पर मंदिर में भक्तों की भीड़ मां के प्रति उनकी आस्था को व्यक्त कर रही है। पूरे दिन भर मां के दरबार में घंटियों की गूंज के साथ मां के जयकारे सुनाई दे रहे हैं। मां के प्रति लोगों की ऐसी आस्था है कि श्रद्धालु मां के दरबार की ओर खिंचे चले आ रहे हैं।
मां नैना देवी देश के 51 शक्तिपीठों में से एक
नैनीताल की मां नैना देवी देश के 51 शक्तिपीठों में से एक मानी जाती हैं। कहा जाता है कि जब राजा दक्ष ने अपने घर में यज्ञ करवाया, तो उन्होंने अपनी बेटी सती और दामाद शिव को न्यौता नहीं दिया। इस पर नाराज होकर मां सती अपने पिता के घर गईं। वहां पिता से कहासुनी होने के बाद, उन्होंने हवन कुण्ड में अपने प्राणों की आहुति दे दी। जब शिव सती के जलते शरीर को आकाश मार्ग से लेकर जा रहे थे, तो नैनीताल में मां सती की बायीं आंख गिरी। तभी से यहां मां नैना की पूजा की जाने लगी। मां सती की आंख के यहां गिरने के कारण इस स्थान का नाम नैनीताल पड़ा। यही कारण है कि झील की आकृति भी आंख के समान है। मां के प्रति भक्तों की अपार आस्था जुड़ी हुई है, और भक्तों की मनोकामनाएं यहां पूरी होती हैं।
बहरहाल, मां नैना के प्रति लोगों की अपार आस्था है। यही कारण है कि नवरात्रों के दौरान मां नैना की पूजा के लिए न केवल देशभर से, बल्कि विदेशों से भी सैलानी यहां पहुंचते हैं। शारदीय नवरात्रों के दौरान कहा जाता है कि जो भी मां के दरबार में सच्चे मन से पूजा करता है, उसकी मनोकामना हमेशा पूरी होती है।