KNEWS DESK- छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है, जिसे संध्या अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रती अस्ताचलगामी सूर्य यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं और अपने परिवार व संतान की खुशहाली की कामना करते हैं। यह पर्व सूर्य उपासना का सबसे पवित्र और अनुशासित रूप माना जाता है।

संध्या अर्घ्य का महत्व
छठ पर्व में दिया जाने वाला संध्या अर्घ्य सूर्य देव की पत्नी प्रत्यूषा को समर्पित होता है, जिन्हें सूर्य की अंतिम किरण कहा गया है। यह अर्घ्य कृतज्ञता, संतुलन और जीवन के उतार-चढ़ाव को स्वीकार करने का प्रतीक है। इस अवसर पर श्रद्धालु प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करते हैं और सूर्य की ऊर्जा के माध्यम से आत्मशुद्धि का भाव रखते हैं।
संध्या अर्घ्य का समय
आज यानी सोमवार, 27 अक्टूबर 2025 को संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त शाम 4:50 मिनट से 5:41 मिनट तक रहेगा। इसी अवधि में व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे। कल उषा अर्घ्य के साथ छठ व्रत का पारण किया जाएगा।
अर्घ्य देने के नियम
- अर्घ्य के लिए तांबे का लोटा या बर्तन उपयोग करें।
- अर्घ्य देते समय मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
- सूर्य को जल अर्पित करते समय दोनों हाथ सिर के ऊपर रखें।
- जल में लाल चंदन, सिंदूर और लाल फूल डालें।
- सूर्य मंत्र “ॐ सूर्याय नमः” का जाप करते हुए अर्घ्य दें।
- इसके बाद सूर्य की दिशा में तीन परिक्रमा करें।
- अर्घ्य का जल पैरों में न गिरे, इसे गमले या धरती में विसर्जित करें।
छठ व्रत का संदेश
छठ पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि यह अनुशासन, शुद्धता और पर्यावरण के प्रति श्रद्धा की भावना को भी दर्शाती है। डूबते सूर्य को अर्घ्य देना जीवन में संतुलन और स्वीकार्यता का संदेश देता है। यह बताता है कि हर अंत एक नई शुरुआत का संकेत होता है।
कल उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाएगा, जिसे उषा अर्घ्य कहा जाता है।