KNEWS DESK- आज सावन मास का चौथा और अंतिम सोमवार है। हिन्दू धर्म में सावन के सोमवार का अत्यंत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह दिन भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। जो भी श्रद्धालु इस पावन दिन व्रत रखते हैं और शिव-पार्वती की आराधना करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
सावन सोमवार के दिन रुद्राभिषेक, दूध-जल से शिवलिंग का अभिषेक, बेलपत्र अर्पण, और व्रत कथा पाठ को अत्यंत शुभ माना गया है।
पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, एक नगर में एक साहूकार रहता था जो शिव भक्त था। उसके पास धन-सम्पत्ति की कोई कमी नहीं थी, परंतु संतान नहीं थी। वह हर रोज शिवजी की पूजा करता और संतान प्राप्ति की प्रार्थना करता।एक दिन माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा, “स्वामी, यह साहूकार आपकी इतनी भक्ति करता है, फिर भी इसकी मनोकामना पूरी क्यों नहीं होती?”तब शिवजी ने बताया कि इस व्यक्ति की संतान का योग नहीं है, और यदि कोई संतान होती भी है तो वह 12 वर्ष से अधिक जीवित नहीं रह पाएगी।
यह बात साहूकार ने भी सुन ली, परंतु उसकी श्रद्धा कम नहीं हुई। शिव की भक्ति में वह निरंतर लगा रहा। कुछ समय बाद उसकी पत्नी गर्भवती हुई और एक सुंदर पुत्र का जन्म हुआ।समय बीता और बालक 11 वर्ष का हो गया। एक दिन उसे पढ़ाई के लिए काशी भेजा गया। रास्ते में एक राज्य में राजकुमारी का विवाह हो रहा था, लेकिन उसका वर नेत्रहीन था। जब लोगों ने साहूकार के पुत्र को देखा तो उसे असली दूल्हा बनाकर शादी करा दी गई। विवाह के बाद साहूकार का पुत्र काशी चला गया।
काशी में एक दिन यज्ञ हो रहा था। उसी दौरान साहूकार का बेटा अचानक कमरे में मृत पाया गया। सभी लोग रोने लगे। यह दृश्य माता पार्वती से देखा न गया। उन्होंने शिवजी से आग्रह किया कि इस बालक को जीवनदान दें।शिवजी ने पहले मना किया क्योंकि उसकी आयु पूरी हो चुकी थी, लेकिन पार्वती जी के आग्रह पर उन्होंने उसे पुनर्जीवित कर दिया। बालक ने “ॐ नम: शिवाय” कहते हुए आँखें खोलीं।
रात में शिवजी ने साहूकार को सपने में दर्शन दिए और कहा, “तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारे पुत्र को जीवनदान दिया है।”
कथा से यह संदेश मिलता है कि सच्ची श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव हर असंभव को संभव कर सकते हैं। जो भी श्रद्धालु इस व्रत कथा को विश्वास और नियमपूर्वक सुनते और पढ़ते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।