जयपुर में शादी, बारात लेकर निकल चुके कथावाचक इंद्रेश महाराज, जानें कौन प्रतिष्ठित हस्तियां होंगी आयोजन में शामिल

KNEWS DESK- देशभर में अपनी ओजस्वी कथा शैली, भक्ति और सरल व्यक्तित्व से लोकप्रिय कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय 5 दिसंबर को विवाह बंधन में बंधने जा रहे हैं। उनका यह विवाह केवल एक पारिवारिक आयोजन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव बन गया है। जयपुर में होने वाला यह भव्य समारोह देशभर के संतों, धर्माचार्यों और हस्तियों की उपस्थिति से एक बड़े आध्यात्मिक महोत्सव का रूप ले चुका है।

इंद्रेश उपाध्याय अपनी होने वाली पत्नी शिप्रा के साथ सात फेरे लेकर जीवन के नए अध्याय की शुरुआत करेंगे। दुल्हन शिप्रा मूल रूप से हरियाणा से हैं। विवाह का शुभ आयोजन जयपुर के उस स्थल पर हो रहा है जिसे इंद्रेश महाराज “छोटा वृंदावन” कहते हैं। जयपुर में स्थित गोविंददेवजी और गोपीनाथजी के प्राचीन विग्रहों के कारण इस शहर को आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष स्थान प्राप्त है।

वृंदावन से जयपुर तक—धूमधाम से निकली बारात

विवाह से पूर्व वृंदावन के रमणरेती स्थित आवास पर हल्दी, संगीत और अन्य परंपरागत रस्में पूरे उत्साह और विधिविधान से संपन्न हुईं। बुधवार को इंद्रेश उपाध्याय की शानदार घुड़चढ़ी हुई, जिसमें वे पारंपरिक वेशभूषा में सजे घोड़े पर सवार होकर भक्तों का अभिवादन स्वीकार करते दिखाई दिए। गाजे-बाजे, ढोल-नगाड़ों और भक्तिमय जयकारों के बीच निकली यह बारात अब जयपुर पहुँच चुकी है, जहाँ 5 दिसंबर को विवाह संपन्न होगा।

शादी में शामिल होंगी कई प्रतिष्ठित हस्तियां

इस आध्यात्मिक विवाह समारोह में देश के कई प्रसिद्ध संत, कथावाचक और धर्माचार्य शामिल हो रहे हैं:

  • पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (बागेश्वर धाम)
  • मूलक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज
  • कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी
  • कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर
  • जयपुर और आसपास के प्रमुख संत-महंत

इनकी उपस्थिति विवाह को दिव्यता और धार्मिक ऊर्जाओं से परिपूर्ण बना रही है। भक्ति और उत्सव का अनोखा संगम बनाने के लिए बॉलीवुड के मशहूर सिंगर बी प्राक को भी विशेष निमंत्रण दिया गया है। उनके भजन और लोकप्रिय गीत समारोह में आध्यात्मिकता और मनोरंजन का अद्भुत मिश्रण जोड़ेंगे।

राधा-रानी का प्रसाद और अनोखा निमंत्रण कार्ड बना चर्चा का विषय

इंद्रेश उपाध्याय के विवाह का निमंत्रण कार्ड सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में रहा। कार्ड के साथ दी गई दिव्य भेंट में शामिल थे।राधारमण मंदिर की मिश्री-इलायची, पवित्र तुलसी दल, लड्डू प्रसाद यह भेंट मेहमानों को वृंदावन का पवित्र अहसास कराती है और विवाह निमंत्रण को विशिष्ट बनाती है।

एक अनूठा संगम—भक्ति, संस्कृति और उत्सव

इंद्रेश उपाध्याय का यह विवाह समारोह केवल एक दांपत्य संबंध नहीं, बल्कि भक्ति, परंपरा और आध्यात्मिक उत्सव का एक अनोखा महाकुंभ बन गया है। देशभर के भक्तों और अनुयायियों की नजरें अब 5 दिसंबर के शुभ क्षण पर टिकी हैं, जब यह दिव्य दंपति अग्नि के समक्ष सात फेरे लेंगे। यह विवाह राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन चुका है और आने वाले वर्षों में एक यादगार आध्यात्मिक आयोजन के रूप में याद किया जाएगा।

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