नई दिल्ली: हिन्दू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। विवाहित महिलाएं सुखी जीवन के लिए और कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए इस दिन व्रत रखती हैं और भगवान शिव एवं माता पार्वती की विशेष पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत के पालन से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और विशेषकर विवाह योग्य कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त, घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और जीवन की समस्याएं दूर होती हैं।
शनि प्रदोष व्रत का समय और महत्व
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी तिथि 30 अगस्त को देर रात 2 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और 31 अगस्त को देर रात 3 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार, इस माह का पहला शनि प्रदोष व्रत 31 अगस्त को रखा जाएगा। चूंकि यह व्रत शनिवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जा रहा है।
इस दिन प्रदोष व्रत की पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शाम 5 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से अत्यधिक फल की प्राप्ति होगी।
पूजा सामग्री
शनि प्रदोष व्रत की पूजा में भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति, शिवलिंग, बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन, फूल, दीपक, धूप, नैवेद्य, गंगाजल, और शुद्ध कपड़े मुख्य सामग्री के रूप में शामिल करने चाहिए। बिना इन सामग्री के प्रदोष व्रत की पूजा अधूरी मानी जाती है।
पूजा विधि
- व्रत के दिन सबसे पहले स्नान करें और साफ कपड़े धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ करके शिवलिंग और माता पार्वती की प्रतिमा को एक चौकी पर स्थापित करें और गंगाजल से पवित्र करें।
- शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और बेलपत्र से अभिषेक करें।
- शिवलिंग और माता पार्वती की प्रतिमा को चंदन, रोली और फूलों से सजाएं।
- दीपक और धूप जलाकर आरती करें और कथा का पाठ करें।
- अंत में भगवान शिव और माता पार्वती को भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में उसे वितरित करें।
- मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान शिव और माता पार्वती से प्रार्थना करें।
विशेष ध्यान
इस व्रत को विशेष रूप से विवाह योग्य कन्याओं को करना चाहिए। व्रत के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें। प्रदोष व्रत के दिन माता पार्वती की पूजा विशेष रूप से करें, उन्हें सिंदूर, बिंदी और मेहंदी अर्पित करें, और लाल रंग के फूल चढ़ाएं। ऐसी मान्यता है कि नियमित रूप से इस व्रत को करने से योग्य वर की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
आपको बता दें कि प्रदोष व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि यह परिवार और व्यक्तिगत जीवन में शांति और समृद्धि लाने का भी माध्यम है। जो लोग इस व्रत को श्रद्धा से करते हैं, उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से मनचाहा फल प्राप्त होता है।