KNEWS DESK- सावन का पावन महीना चल रहा है और आज इसका दूसरा सोमवार है, जो भगवान शिव की उपासना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। देशभर में आज शिवभक्तों की भारी भीड़ शिवालयों में उमड़ी हुई है। मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालु जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और मंत्र जाप में लीन नजर आए। ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘हर हर महादेव’ के जयघोषों से वातावरण भक्तिमय हो गया।
गाजियाबाद स्थित दूधेश्वर महादेव मंदिर, जोकि एक प्राचीन शिवधाम है, वहां सुबह-सुबह शिव आरती के साथ भक्तों का तांता लगा रहा। भक्तों ने पंचामृत और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक किया और विशेष पूजन अनुष्ठान में भाग लिया।
अयोध्या के क्षीरेश्वर महादेव मंदिर में भी भक्तों ने पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना की। मंदिर प्रांगण में दिनभर रुद्राभिषेक, शिव चालीसा पाठ और भजन संकीर्तन का आयोजन किया गया।
दूसरे सोमवार के विशेष योग और मुहूर्त
आज के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं जो इसे और भी अधिक फलदायी बनाते हैं:
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:01 बजे से 12:56 बजे तक
- वृद्धि योग: शाम 6:39 बजे तक
- सर्वार्थ सिद्धि योग: पूरे दिन
- अमृत सिद्धि योग: पूरे दिन
इन योगों में शिव पूजा, अभिषेक, व्रत और मंत्र जाप करना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। कहा जाता है कि इन योगों में किए गए शुभ कार्यों का फल अमृत के समान होता है।
शुभ विधि से करें भगवान शिव की पूजा
आज के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करने के बाद श्वेत वस्त्र धारण कर पास के शिवालय जाएं। वहां शिवलिंग को पहले पंचामृत और फिर गंगाजल से स्नान कराएं। शिवजी को चढ़ाएं:
- 11 बेलपत्र
- भांग, आक, धतूरा
- अक्षत (चावल), सफेद चंदन
- सफेद फूल, मौली, जनेऊ
- शुद्ध घी, फल
पूजन करते समय ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करते रहें। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें, घी का दीपक जलाएं और शिव आरती करें। साथ ही रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
शाम के प्रदोष काल में पुनः शिवालय जाकर शिवपूजन करें। कहा जाता है कि प्रदोष काल में शिव की आराधना विशेष फल देती है।
सावन में कांवड़ यात्रा का भी विशेष महत्व होता है। देश के विभिन्न भागों से शिवभक्त कांवड़ लेकर गंगाजल लाते हैं और शिवलिंग पर चढ़ाकर पुण्य प्राप्त करते हैं। इस बार भी हजारों की संख्या में कांवड़िए सड़कों पर ‘बोल बम’ के जयकारे लगाते हुए दिखे।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन शिवजी का वास कैलाश पर्वत पर माना गया है, जो अत्यंत शुभ है। इस दिन की गई पूजा भक्तों को मानसिक शांति, रोगों से मुक्ति और पारिवारिक सुख की प्राप्ति कराती है।