KNEWS DESK- हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास की शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। श्रावण मास को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है, और इस माह की मासिक शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि कहा जाता है। यह पर्व भक्ति, आस्था और तपस्या का प्रतीक है। इस दिन व्रत-पूजन का विशेष महत्व होता है, और भक्त जन भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए पूरे दिन उपवास रखते हैं और रात्रि में शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।
व्रत और पूजन का महत्व
सावन शिवरात्रि पर भक्त भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर उनसे कृपा की कामना करते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और रात्रि जागरण करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। विवाहित महिलाएं अपने दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए यह व्रत करती हैं, वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति की कामना से उपवास रखती हैं।
सावन शिवरात्रि 2025: भद्रा काल और पूजन मुहूर्त
इस वर्ष सावन शिवरात्रि पर भद्रा काल का प्रभाव भी रहेगा।
- भद्रा काल: सुबह 5:37 से दोपहर 3:31 तक रहेगा।
हालांकि भद्रा को सामान्यतः अशुभ माना जाता है, लेकिन शिव आराधना में यदि भक्त सच्चे मन से पूजा करें तो उसका फल अवश्य मिलता है।
जलाभिषेक के प्रमुख मुहूर्त:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:15 से 04:56 तक
- निशिता काल पूजा: रात 12:07 से 12:48 तक (41 मिनट)
चार प्रहर पूजा के समय:
- प्रथम प्रहर: शाम 7:17 से 9:53
- द्वितीय प्रहर: रात 9:53 से 12:28
- तृतीय प्रहर: रात 12:28 से सुबह 3:03
- चतुर्थ प्रहर: सुबह 3:03 से 5:38
सावन शिवरात्रि पूजन विधि
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर (पंचामृत) से अभिषेक करें।
- बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फूल, फल, धूप-दीप और चंदन अर्पित करें।
- महामृत्युंजय मंत्र और शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करें।
- रात्रि जागरण करें और शिवपुराण, शिव भजन या स्तोत्रों का पाठ करें।
- अगले दिन प्रातः उचित समय पर व्रत का पारण करें।
शिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप
इस दिन मंत्रों का जाप शिव आराधना को पूर्णता प्रदान करता है:
- ॐ नमः शिवाय
- ॐ महाकालाय नमः
- ॐ पार्वतीयै नमः
- ॐ उमापतये नमः
- ॐ भोलेनाथाय नमः
- ॐ चंद्रधारी नमः
- ॐ ज्योतिर्लिंगाय नमः