Raksha Bandhan 2023: क्या होता है भद्राकाल, क्यों नहीं बांधनी चाहिए इस समय राखी?

KNEWS DESK- रक्षाबंधन का त्यौहार नजदीक आते लोग इसके शुभ मुहुर्त को जानने के लिए बहुत बेचैन रहते हैं लोगों से पूछते हैं और आज के डिजिटल युग में तो गूगल पर भी सर्च किया जाता है। आपने बहुत बार तो ये भी सुना होगा कि इस समय भद्राकाल लगा है लेकिन क्या आप जानते है कि क्या होता है भद्रकाल और क्यों नहीं बांधी जाती है इस समय राखी?

क्या होता है भद्रकाल?

भद्राकाल के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। भद्रा भगवान सूर्य और माता छाया की पुत्री हैं और शनिदेव इनके भाई हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा का जन्म दैत्यों के विनाश के लिए हुआ था। जब भद्रा का जन्म हुआ तो वह जन्म लेने के फौरन बाद ही पूरे सृष्टि को अपना निवाला बनाने लगी थी। इस तरह से भद्रा के कारण जहां भी शुभ और मांगलिक कार्य, यज्ञ और अनुष्ठान होते वहां विध्न आने लगता है। इस कारण से जब भद्रा लगती है तब किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

आपको बता दें कि भद्रा का वास तीन लोकों में होता है यानी भद्रा स्वर्ग, पाताल और पृथ्वी लोक में  वास करती हैं. जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ और मीन राशि में मौजूद होते हैं, तब भद्रा का वास पृथ्वी लोक पर होता है। पृथ्वीलोक में भद्रा का वास होने पर भद्रा का मुख सामने की तरफ होता है. ऐसे में इस दौरान किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है। भद्रा में किया गया शुभ कार्य कभी भी सफल नहीं होता है।

भद्राकाल में क्यों नहीं बांधी जाती राखी?

रक्षाबंधन पर भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। ऐसा कहा जाता है कि लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में ही उनकी कलाई पर राखी बांधी थी और एक वर्ष के अंदर उसका विनाश हो गया था। ऐसा कहा जाता है कि भद्रा को ब्रह्मा जी से यह श्राप मिला था कि जो भी भद्रा में शुभ या मांगलिक कार्य करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा।

 

ऐसे मनाएं रक्षाबंधन

थाल में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और मिठाई रखें. घी का एक दीपक भी रखें, जिससे भाई की आरती कर सकें।

रक्षासूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें।

भाई को पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करके बैठाएं।

पहले भाई को कनिष्ठा उंगली से टिका लगाएं फिर अंगूठे से तिलक लगाएं, रक्षा सूत्र बांधे, फिर आरती करें।

रक्षासूत्र बांधते समय ध्यान रखें भाई-बहन का सिर खुला न हो।

रक्षासूत्र बंधवाने के बाद माता-पिता का आशीर्वाद लें।

मन में भगवान का स्मरण कर यह निवेदन करें रक्षाबंधन का यह सूत्र दोनों के लिए मंगलकारी हो।

अपने सामर्थ्य के अनुसार इस दिन बहन को कोई न कोई उपहार अवश्य देना चाहिए।

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