PitruPaksha 2024: पितृपक्ष में भूलकर भी ना करें ये 5 गलतियां, वरना पूर्वजों के क्रोध से हो सकता है बड़ा नुकसान!

KNEWS DESK, पितृपक्ष, हिंदू धर्म में पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने और उनकी आत्मा की शांति के लिए एक पवित्र समय होता है। इस समय के दौरान पिंडदान, तर्पण और अन्य धार्मिक कर्म किए जाते हैं ताकि पूर्वजों की कृपा प्राप्त हो सके। धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान कुछ खास गलतियों से बचना आवश्यक है। आइए जानते हैं कौन-कौन सी गलतियां हैं जिनसे बचना चाहिए, ताकि पूर्वजों की कृपा बनी रहे और आपके जीवन में खुशहाली बनी रहे।

Pitru Paksha 2022: इन धार्मिक स्थलों पर तर्पण करने से मिलता है विशेष पुण्य, यहां देखें पूरी List - Pitru Paksha 2022 One gets special merit by offering prayers at these religious

पितृपक्ष में न करें ये 5 बड़ी गलतियां

मांगलिक और शुभ कार्यों से बचें: धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे शादी-विवाह, सगाई, मुंडन, या गृह प्रवेश करना वर्जित है। इस समय इन शुभ कार्यों को टाल देना चाहिए, क्योंकि इनसे पितरों की नाराजगी हो सकती है।

नई चीजों की खरीदारी न करें: पितृपक्ष के दौरान नई चीजें खरीदना जैसे नए कपड़े, नया फर्नीचर या अन्य सामान शुभ नहीं माना जाता। इस समय में घर की सजावट या नई वस्तुओं की खरीदारी से बचना चाहिए, क्योंकि यह पितरों के प्रति सम्मान की कमी के रूप में देखा जा सकता है।

तामसिक पदार्थों का सेवन करने से दूर रहें: पितृपक्ष के दिनों में तामसिक पदार्थों का सेवन जैसे मांस, मछली, मदिरा, लहसुन, प्याज आदि से बचना चाहिए। इनका सेवन करने से पितरों की नाराजगी हो सकती है, जो आपके जीवन में समस्याओं का कारण बन सकती है।

विशेष खाद्य पदार्थों से परहेज करें: इस दौरान कुछ खाद्य पदार्थ जैसे सफेद तिल, लौकी, मूली, काला नमक, जीरा, मसूर की दाल, चना-सरसों का साग आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इनका सेवन पितृपक्ष के दौरान वर्जित माना गया है।

लोहे के बर्तन का प्रयोग न करें: श्राद्ध के भोजन को लोहे के बर्तन में परोसना वर्जित माना जाता है। इसके बजाय, तांबे, पीतल या अन्य धातु के बर्तन का प्रयोग करना चाहिए, जिससे पितरों के प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट होती है।

अन्य महत्वपूर्ण नियम

बाल और दाढ़ी कटवाने से बचें: पितृपक्ष के दौरान बाल या दाढ़ी कटवाना वर्जित माना जाता है। यह समय व्यक्तिगत पवित्रता बनाए रखने का है।

संभोग से परहेज: पितृपक्ष के दौरान तर्पण करने वाले लोगों को संभोग से बचना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह पितृदोष का कारण बन सकता है।

बता दें कि इस बार पितृपक्ष 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक रहेंगे। पितृपक्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से लेकर अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक रहता है। यह लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते हुए अपने पूर्वजों की तृप्ति के लिए भोजन और जल अर्पित करते हैं।वहीं पितृपक्ष के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराना और उन्हें दान-दक्षिणा देते हुए पितरों की आत्मा की शांति की प्रार्थना की जाती है।

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published.