आज से पितृपक्ष की शुरुआत, जानें क्या करें और किन बातों से बचें, पितरों को प्रसन्न करने का महत्व

डिजिटल डेस्क- 7 सितंबर से शुरू हो रहे पितृपक्ष के दौरान 15 दिनों तक पूर्वजों का स्मरण, तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष माना जाता है, लेकिन इसकी शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से ही हो जाती है। इस वर्ष पितृपक्ष 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर सर्वपितृ अमावस्या तक चलेगा। इस बार पितृपक्ष की शुरुआत पूर्णिमा श्राद्ध से हो रही है और संयोग से आज चंद्रग्रहण भी है। ग्रहण का सूतक दोपहर 12:57 से लग जाएगा, ऐसे में पूर्णिमा का श्राद्ध दोपहर से पहले ही करना आवश्यक है।

श्राद्ध करते समय करें ये काम

श्राद्ध करते समय घर की शुद्धि, गंगाजल का छिड़काव, दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके तर्पण और पवित्र भावना से ब्राह्मण भोज एवं दान देना आवश्यक है। दूध से बनी खीर, सफेद पुष्प, तिल, शहद, गंगाजल, और सफेद वस्त्र श्राद्ध में विशेष फलदायी माने जाते हैं। पंचबलि का अर्पण, गोदान, अन्न, और वस्त्र का दान पितरों को प्रसन्न करता है और परिवार में सुख-समृद्धि लाता है

पितृपक्ष में क्या करना चाहिए

  • प्रतिदिन भोजन बनाने के बाद पहली रोटी गाय या ब्राह्मण के लिए निकालें।
  • शाम को घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाएं।
  • पितरों को प्रसन्न करने के लिए नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करें (यदि यज्ञोपवीत और गुरु मंत्र ग्रहण किया हो)।
  • पूर्वजों की तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना शुभ माना जाता है।
  • यदि घर से बाहर श्राद्ध कर्म के लिए निकलें तो संत स्वरूप धारण करें और भगवा वस्त्र पहनें।
  • परंपरा के अनुसार प्रयागराज, काशी और गया में अनुष्ठान करना विशेष फलदायी माना गया है।

किन बातों से बचना चाहिए

  • पितृपक्ष में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
  • भोजन सात्विक होना चाहिए, प्याज, लहसुन, मांस और मदिरा का सेवन वर्जित है।
  • घर में कलह-क्लेश से बचें और शांति बनाए रखें।
  • लोहे के बर्तन में न तो खाना पकाएं और न ही उसका उपयोग करें।
  • इस अवधि में बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए।
  • घर में घंटा-घड़ियाल या बर्तनों को बजाना अशुभ माना जाता है।