KNEWS DESK – इस वर्ष पितृ पक्ष का अंतिम दिन, सर्व पितृ अमावस्या, 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। 15 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण और श्राद्ध किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि अगर पितृ पक्ष के दौरान किसी घर में किसी सदस्य का निधन हो जाए, तो यह एक महत्वपूर्ण विषय है। आइए जानते हैं कि हिंदू धर्म में इसे किस प्रकार समझा जाता है।
पितृ पक्ष में मृत्यु शुभ संकेत
दरअसल आपको बता दें कि हिंदू शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में किसी व्यक्ति का निधन होना एक महत्वपूर्ण और शुभ घटना मानी जाती है। इस समय यदि किसी की मृत्यु होती है, तो इसे शुभ संकेत के रूप में देखा जाता है। माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की पितृ पक्ष में मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा को स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है। इस दौरान अंतिम संस्कार की विधियां भी सामान्य रूप से की जाती हैं।
इसका अर्थ है कि पितृ पक्ष में निधन होना उस व्यक्ति के अच्छे कर्मों का फल है। ऐसी स्थिति में कहा जाता है कि उस परिवार पर पितरों की कृपा हमेशा बनी रहती है, और घर में किसी प्रकार की बाधाएं नहीं आती हैं। जिन लोगों की मृत्यु इस अवधि में होती है, उनके लिए वह तिथि विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष का अंतिम दिन है, जो आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस वर्ष यह तिथि 2 अक्टूबर को है। इस दिन को पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, और यह श्राद्ध का अंतिम दिन होता है।
इस बार सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण भी लगेगा, जिससे इस दिन की विशेषता और बढ़ जाएगी। पितृ अमावस्या की पूजा का सही समय 2 अक्टूबर को सुबह 9:34 बजे से 12:18 बजे तक है।
पितृ पक्ष के बाद नवरात्रि
पितृ पक्ष के समाप्त होने के बाद, नवरात्रि का पर्व शुरू होता है। इस साल नवरात्रि 3 अक्टूबर से आरंभ हो रही है और यह 11 अक्टूबर तक चलेगी। इसके बाद दशहरा का त्योहार 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस तरह, पितृ पक्ष के समाप्त होते ही त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है, जिसमें नवरात्रि, विजयादशमी, धनतेरस, दीवाली और भाई दूज जैसे प्रमुख पर्व शामिल हैं।