KNEWS DESK, पितृपक्ष 2024 का आयोजन चल रहा है, और आज इसका पांचवा दिन यानी पंचमी का श्राद्ध है। इस दिन को विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि इस दिन अपने पूर्वजों को याद करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं पंचमी के श्राद्ध के शुभ मुहूर्त और इसे करने के सही नियम।
पंचमी के शुभ मुहूर्त
पंचमी के दिन कुल 6 शुभ मुहूर्त हैं, जिनमें से आप श्राद्ध कर सकते हैं
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:34 से 05:21 तक
- अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:50 से 12:39 तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:31 से 06:54 तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:17 से 03:06 तक
- अमृत काल मुहूर्त: रात 08:48 से 10:17 तक
- निशिता काल मुहूर्त: रात 11:50 से 23 सितंबर 12:38 तक
अशुभ मुहूर्त
श्राद्ध के लिए मुहूर्त का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। पंचमी के दिन 4 अशुभ मुहूर्त हैं, जिनसे बचना चाहिए:
- यमगण्ड: दोपहर 12:13 से 01:44 तक
- गुलिक काल: दोपहर 03:15 से 04:46 तक
- आडल योग: रात 11:02 से सुबह 06:02 (23 सितंबर) तक
- विडाल योग: सुबह 06:10 से रात 11:02 तक
पंचमी श्राद्ध के नियम
- पुष्प अर्पित करें: घर के मुख्य द्वार पर पुष्प चढ़ाएं और अपने पितरों को आमंत्रित करें।
- तर्पण विधि: कुश और काले तिल से 3 बार तर्पण करें।
- ब्राह्मण को दान: किसी ब्राह्मण को फल, मिठाई या वस्त्र का दान करें।
- मंदिर में चढ़ावा: आप यह सामान मंदिर में भी चढ़ा सकते हैं।
पितृ पक्ष 2024 की तिथियां इस प्रकार है
- प्रारंभ: 18 सितंबर
- प्रथम श्राद्ध: 18 सितंबर
- द्वितीय श्राद्ध: 19 सितंबर
- तृतीया श्राद्ध: 20 सितंबर
- चतुर्थी श्राद्ध: 21 सितंबर
- पंचमी श्राद्ध: 22 सितंबर
- षष्ठी श्राद्ध: 23 सितंबर
- सप्तमी श्राद्ध: 24 सितंबर
- अष्टमी श्राद्ध: 25 सितंबर
- नवमी श्राद्ध: 26 सितंबर
- दसवीं श्राद्ध: 27 सितंबर
- एकादशी श्राद्ध: 28 सितंबर
- द्वादशी श्राद्ध: 29 सितंबर
- त्रयोदशी श्राद्ध: 30 सितंबर
- चतुर्दशी श्राद्ध: 1 अक्टूबर
- सर्व पितर अमावस्या: 2 अक्टूबर
इस पवित्र अवसर पर अपने पूर्वजों को याद करके उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करें और अपने परिवार में सुख-शांति की कामना करें।