KNEWS DESK- सनातन धर्म में पितृपक्ष को बहुत ज्यादा महत्त्व दिया जाता है| इस साल पितृपक्ष 29 सितंबर 2023 से लेकर 14 अक्टूबर 2023 तक रहेंगे| वैसे तो पितृपक्ष में श्राद्ध के लिए भारत में कई तीर्थ हैं लेकिन आपको बता दें कि काशी नगरी में पिशाच मोचन कुंड का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है| चलिए आपको बताएं कि यहां किस प्रकार पूजा की जाती है|
मान्यता के अनुसार काशी या वाराणसी में स्नान, ध्यान और दान आदि का अत्यधिक महत्त्व होता है लेकिन यहां पर पितरों की पूजा को भी खास माना जाता है| इसलिए हर साल पितृपक्ष आते ही काशी स्थित पिशाच मोचन कुंड में अचानक से श्राद्ध कराने वालों की भारी भीड़ उमड़ती है| काशी के पिशाच मोचन कुंड में त्रिपिंडी श्राद्ध कराने से भटकती आत्माओं को शांति मिलती है| मान्यता है कि यहां पर किए जाने वाले त्रिपिंडी श्राद्ध से दर-दर भटकती आत्मा और पितरों को मुक्ति मिल जाती है और वे वैकुंठ धाम पहुंच जाते हैं|
मान्यता के अनुसार जिन लोगों को आकाल मौत मिलती है| उन्हें मुक्ति पाने के लिए लंबे समय का इन्तजार करना पड़ता है| उनकी आत्मा दर-दर भटकती हैं| ऐसे पितरों की आत्माओं को शान्ति दिलाने के लिए काशी के पिशाच मोचन कुंड पर विशेष रूप से त्रिपुंडी श्राद्ध किया जाता है| यह त्रिपिंडी श्राद्ध सिर्फ काशी के पिशाच मोचन कुंड पर ही किया जाता है| जिसे करने पर पितृ आत्माएं प्रेत योनि से मुक्त हो जाती हैं और उनका आशीर्वाद मिल जाता है|
इस पूजा से दिलाएं पितरों को मोक्ष
हिंदू मान्यता के मुताबिक काशी के पिशाच मोचन तीर्थ पर एक पीपल का पेड़ है, जिसमें भटकती हुई आत्माओं को पीपल के पेड़ में कील गाड़कर बिठाया जाता है| साथ ही साथ यहां पर पितरों की पूजा करते समय पेड़ पर एक सिक्का भी रखवाया जाता है ताकि पितरों का सभी उधार चुकता हो जाए और पितर सभी बाधाओं से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सकें और यजमान भी पितृ ऋण से मुक्ति पा सकें|