KNEWS DESK, हिन्दू धर्म में पितृपक्ष एक महत्वपूर्ण समय होता है जब हम अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए जल तर्पण, पिंडदान और श्राद्धकर्म जैसे विशेष कार्य किए जाते हैं। इस बार पितृपक्ष 17 सितंबर से लेकर 2 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। पितृपक्ष एक गंभीर और श्रद्धा भरा समय होता है। इस दौरान अपने पूर्वजों के लिए दान-पुण्य और श्राद्धकर्म करना प्रमुख होता है। पितृपक्ष से पहले जरूरी कामों को निपटाकर आप इन 16 दिनों को शांति और श्रद्धा से गुजार सकते हैं। इससे न केवल आपके व्यक्तिगत काम समय पर पूरे होंगे, बल्कि पितरों की आत्मा को भी शांति मिलेगी और आप मानसिक शांति का अनुभव करेंगे।वहीं इस समय के दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं, इसलिए कुछ महत्वपूर्ण काम पितृपक्ष से पहले ही निपटा लेने चाहिए। आइए जानते हैं कौन-कौन से ये महत्वपूर्ण काम और क्या है इसके पीछे की वजह।
1. नए सामान की खरीदारी
पितृपक्ष के दौरान नए सामान की खरीदारी से बचना चाहिए। इसमें जमीन, मकान, दुकान, बर्तन, आभूषण, गाड़ी आदि शामिल हैं। मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान इन वस्तुओं की खरीदारी से शुभ प्रभाव नहीं मिलते और पितृदोष बढ़ सकता है। इसके अलावा, पितृपक्ष में नए कपड़े और फर्नीचर की भी खरीदारी नहीं की जाती है। इसलिए, इन चीजों की खरीदारी पितृपक्ष से पहले पूरी कर लें।
2. नए काम की शुरुआत
यदि आप व्यवसाय, दुकान या कोई नया काम शुरू करने का विचार कर रहे हैं या बच्चों का एडमिशन किसी अच्छे संस्थान में करवाना चाहते हैं, तो पितृपक्ष से पहले इन कामों को पूरा कर लें। पितृपक्ष के दौरान नए काम की शुरुआत करने से आर्थिक नुकसान और मानसिक तनाव हो सकता है। इसलिए, महत्वपूर्ण कामों की योजना और क्रियान्वयन पितृपक्ष से पहले कर लेना अधिक उचित होता है।
3. मांगलिक कार्य
शादी-विवाह, मुंडन, भूमि पूजन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य चातुर्मास के चलते पहले से ही बंद होते हैं, लेकिन कुछ लोग पितृपक्ष के दौरान भी इनका आयोजन करने की कोशिश करते हैं। पितृपक्ष में भी शादी-विवाह के प्रस्ताव को लेकर दोनों परिवारों की मीटिंग करना उचित नहीं माना जाता। यह समय आनंद और प्रसन्नता का नहीं, बल्कि शोक और श्रद्धांजलि का होता है। इसलिए इन मांगलिक कार्यों को पितृपक्ष के बाहर ही आयोजित करना चाहिए।