KNEWS DESK- हिंदू पंचांग का दसवां महीना पौष मास आज से आरंभ हो चुका है। यह पवित्र माह 3 जनवरी 2026, सोमवार को समाप्त होगा। बीते दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा के साथ पौष मास का शुभारंभ हुआ। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह महीना विशेष रूप से सूर्य देव की उपासना का काल माना जाता है। इस दौरान की गई साधना, दान-पुण्य और स्नान से पापों का नाश होता है और सौभाग्य प्राप्त होता है।
पौष माह का धार्मिक महत्व
पौष मास को आध्यात्मिक जागरण और ऊर्जा समृद्धि का समय माना गया है। भगवान सूर्य नारायण की कृपा से स्वास्थ्य, तेज और मानसिक स्थिरता बढ़ती है। इसलिए इस माह में पूजा-पाठ, जप-तप, गंगा स्नान और सत्संग करने की परंपरा है।
पौष माह में क्या करें?
सूर्य देव को जल अर्पित करें
- तांबे के लोटे में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल पुष्प डालकर प्रतिदिन सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- जल देते समय सूर्य मंत्र या आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
जप-तप और पाठ
- प्रतिदिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
- श्री हरि विष्णु की आराधना करें और मंदिर दर्शन अवश्य करें।
- भगवद गीता का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है।
गंगा स्नान और दान-पुण्य
- पूरे पौष मास में गंगा स्नान या पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व है।
- अन्न दान, वस्त्र दान और जरूरतमंदों की सेवा करें।
- अमावस्या व पूर्णिमा पर पितरों के लिए श्राद्ध व तर्पण करना शुभ होता है।
पौष माह में क्या न करें?
मांसाहार और नशे से दूरी
- इस माह को तपस्या का समय माना गया है, इसलिए मांसाहार, शराब या किसी भी प्रकार के नशे का सेवन न करें।
इन खाद्य पदार्थों से परहेज़
बैंगन, मूली, मसूर दाल, उड़द दाल, फूलगोभी इन्हें तामसिक माना गया है, इसलिए इनसे दूरी रखना शुभ माना जाता है।
मांगलिक कार्य न करें
- विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य इस माह में टाले जाते हैं।
अपमान और कठोर व्यवहार से बचें
- पौष मास में संयम, साधुता और सत्कर्म का पालन आवश्यक है।
- किसी का अपमान, कटु शब्द या नकारात्मक व्यवहार करने से बचें।
पौष मास आध्यात्मिक साधना और आत्मशुद्धि का काल है। इस पूरे महीने सूर्य उपासना, स्नान, दान और सत्कर्म करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। इस विशेष समय में संयम और सात्विकता का पालन आपके लिए कल्याणकारी सिद्ध होगा।