KNEWS DESK- हिंदू पंचांग का दसवां महीना पौष जल्द ही प्रारंभ होने वाला है। यह महीना धार्मिक और ज्योतिषीय रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी अवधि में खरमास (Kharmas) लगता है और सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, पौष माह को तप, संयम और सात्विक जीवन का काल माना गया है। इस दौरान कुछ ऐसे नियम हैं जिनका पालन अनिवार्य बताया गया है। इनका उल्लंघन देवताओं की अप्रसन्नता का कारण बन सकता है।
आइए जानें, पौष माह में किन कार्यों से बचना चाहिए और किन शुभ कर्मों को करना आवश्यक है।
पौष माह में भूलकर न करें ये गलतियां
मांगलिक कार्यों पर रोक
पौष माह में लगने वाले खरमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। इस समय किए जाने वाले मांगलिक कार्यों का फल शुभ नहीं माना जाता। इस अवधि में इन कार्यों से बचना चाहिए विवाह,सगाई,गृह प्रवेश,मुंडन संस्कार,जनेऊ संस्कार,नए व्यवसाय या दुकान का उद्घाटन ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, इन कार्यों का परिणाम इस अवधि में अनुकूल नहीं मिलता।
तामसिक भोजन न करें
पौष माह तपस्या और सात्विकता का समय माना गया है। इसलिए इस महीने खान-पान में विशेष सावधानी रखनी चाहिए।
न करें—लहसुन-प्याज का सेवन,गरिष्ठ और तला-भुना भोजन,किसी भी प्रकार के नशे का सेवन।
मांस-मदिरा से दूरी बनाए रखें
इस अवधि में मांस, शराब और तामसिक भोजन का सेवन पाप माना गया है। इससे मन अशांत होता है और पूजा-पाठ की शुद्धता प्रभावित होती है।
कटु वचन बोलने से बचें
शास्त्रों में पौष माह को वाणी पर संयम रखने का समय बताया गया है न करें—किसी का अपमान,कठोर वचन,किसी को मानसिक कष्ट देना मान्यता है कि ऐसे कार्य सूर्य देव को अप्रसन्न करते हैं और व्यक्ति के सम्मान एवं स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते हैं।
अन्न दान को नज़रअंदाज़ न करें
- पौष माह में सूर्य देव की पूजा और अन्न दान का अत्यधिक महत्व है।
- इस महीने ज़रूरतमंदों को—चावल, गेहूं, दाल,अन्न या भोजन दान करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है।
पौष माह में क्या करें?
सूर्य देव की उपासना
यह महीना सूर्योपासना का प्रतीक है। रोज सुबह—
- सूर्य देव को जल चढ़ाएं
- सूर्य मंत्र का जाप करें
- गायत्री मंत्र का जप करें
भगवान विष्णु की आराधना
पौष महीने में विष्णु भगवान की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है।
- भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें
- श्रीहरि का ध्यान करें
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें
भगवद गीता का पाठ
पौष माह में गीता का अध्ययन मन की शांति और आध्यात्मिक उन्नति देता है। माना जाता है कि इस अवधि में गीता का पाठ हजार गुना अधिक फल देता है। पौष माह सिर्फ एक धार्मिक अवधि नहीं, बल्कि आत्मचिंतन, साधना और सात्विक जीवन जीने का अवसर है। इस महीने के नियमों का पालन करने से मनुष्य के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सौभाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि का आगमन होता है। खरमास के दौरान संयमित और धर्मशील जीवन अपनाकर आप दिव्य कृपा प्राप्त कर सकते हैं।