KNEWS DESK- हिंदू धर्म में पौष अमावस्या को अत्यंत पवित्र और फलदायी तिथि माना गया है। यह दिन विशेष रूप से पितरों को समर्पित होता है। मान्यता है कि पौष अमावस्या पर स्नान, दान और तर्पण करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों का आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है। हर वर्ष की तरह इस बार भी कई श्रद्धालुओं के मन में पौष अमावस्या की सही तिथि को लेकर भ्रम बना हुआ है, ऐसे में पंचांग के आधार पर इसकी सही जानकारी जानना आवश्यक है।
पौष अमावस्या 2025 की तिथि
पंचांग के अनुसार, पौष माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 19 दिसंबर 2025, शुक्रवार को सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर होगी और इसका समापन 20 दिसंबर की सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर होगा। ज्योतिष शास्त्र के नियमों के अनुसार, जिस दिन सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि रहती है, उसी दिन अमावस्या का व्रत, स्नान और दान किया जाता है। इस आधार पर वर्ष 2025 में पौष अमावस्या का मुख्य पर्व 19 दिसंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा।
पौष अमावस्या का धार्मिक महत्व
पौष अमावस्या का सबसे बड़ा महत्व पितरों की शांति से जुड़ा है। इस दिन तर्पण, श्राद्ध कर्म और ब्राह्मण भोजन कराने से पितृ दोष का निवारण होता है और पूर्वजों को शांति मिलती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में स्थित होते हैं, जिससे यह तिथि देव और पितृ दोनों को प्रसन्न करने के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। इसके अलावा, इस दिन गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
जिन लोगों की कुंडली में काल सर्प दोष होता है, उनके लिए भी पौष अमावस्या विशेष मानी जाती है। इस दिन किए गए विशेष अनुष्ठान से दोष के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
पौष अमावस्या की पूजा विधि
पौष अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी में स्नान करना श्रेष्ठ माना जाता है। यदि यह संभव न हो, तो घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद तांबे के लोटे से सूर्य देव को जल अर्पित करें।
इसके पश्चात दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें और हाथ में जल, पुष्प, तिल तथा कुश लेकर पितरों के लिए तर्पण का संकल्प लें। गोत्र और नाम का उच्चारण करते हुए तीन बार पितरों को तर्पण दें।
शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और सात बार परिक्रमा करें। मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में सभी देवी-देवताओं और पितरों का वास होता है। अंत में सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।
पौष अमावस्या पर दान का महत्व
पौष अमावस्या पर किया गया दान अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन चावल, आटा, दाल और मौसमी सब्जियों का दान करना शुभ होता है। पितरों की शांति के लिए काले तिल का दान विशेष फलदायी माना गया है। चूंकि पौष मास ठंड का समय होता है, इसलिए गरीबों को ऊनी वस्त्र या कंबल दान करना भी श्रेष्ठ माना जाता है। इसके अलावा गौशाला में चारा या धन का दान करने से भी विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
पौष अमावस्या पर श्रद्धा और विधि-विधान से किए गए स्नान, दान और तर्पण से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।