ओणम 2025: क्यो मनाया जाता है ओणम का पर्व? जानें उत्सव का महात्व और इतिहास

KNEWS DESK- ओणम दक्षिण भारत का प्रमुख त्योहार है, जो भगवान विष्णु के वामन रूप और दैत्यराज महाबली से जुड़ा हुआ है। यह पर्व भगवान विष्णु के पाँचवें अवतार वामन देव की पूजा और राजा महाबली के वार्षिक आगमन की खुशी में मनाया जाता है।

साल 2025 में ओणम का पर्व शुक्रवार, 5 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। यह पर्व चिंगम मास में भगवान वामन की जयंती और राजा बलि के स्वागत में मनाया जाता है। हर साल यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है और त्रिक्काकरा (केरल) के एकमात्र वामन मंदिर से शुरू होता है। इस बार ओणम 26 अगस्त से 5 सितंबर 2025 तक मनाया जाएगा।

क्यों मनाया जाता है ओणम का पर्व?

ओणम मुख्य रूप से नई फसल की अच्छी उपज और समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इसके साथ ही यह पर्व भगवान विष्णु और राजा महाबली से जुड़ी पौराणिक कथा पर आधारित है। त्रेतायुग में असुर राजा महाबली ने तपस्या और शक्ति के बल पर तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था।

देवताओं की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने वामन (एक बौने ब्राह्मण) का रूप धारण कर बलि से उसके यज्ञ के दौरान तीन पग भूमि मांगी। पहले पग में भगवान ने पूरी पृथ्वी नाप ली। दूसरे पग में पूरा स्वर्गलोक समा गया। तीसरे पग के लिए जब कोई स्थान नहीं बचा, तो महाबली ने भक्ति भाव से अपना सिर आगे कर दिया। भगवान विष्णु ने तीसरा पग उनके सिर पर रखकर उन्हें पाताल लोक भेज दिया और वहाँ का शासक बना दिया।

राजा बलि की भक्ति और वचनबद्धता से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें हर साल एक बार अपनी प्रजा और भूमि से मिलने की अनुमति दी। तभी से ओणम का पर्व उनके आगमन की खुशी में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

ओणम का महत्व

यह त्योहार न सिर्फ धार्मिक आस्था से जुड़ा है बल्कि फसल, समृद्धि, आनंद और एकता का प्रतीक भी है। पूरे केरल में यह पर्व रंगोली (पुक्कलम), नौका दौड़, पारंपरिक नृत्य और दावत (ओणम साध्या) के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।