KNEWS DESK, माता रानी की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि इस साल 3 अक्टूबर, 2024 से शुरू हो रहा है। यह पर्व मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा का विशेष अवसर है, जहां भक्त और साधक उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि का व्रत धैर्य, संयम और त्याग का भाव पैदा करता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है। आइए जानते हैं नवरात्रि व्रत के 9 विशेष नियम, जिनका पालन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
नवरात्रि व्रत के 9 नियम
- कलश स्थापना: नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है, जिसे घटस्थापना भी कहा जाता है। नवरात्रि आज यानी 3 अक्टूबर से शुरु हो चुके हैं। बिना कलश स्थापना के देवी माता की आराधना अधूरी मानी जाती है।
- सात्विक भोजन का संकल्प: भक्तों को यह संकल्प लेना चाहिए कि वे 9 दिनों तक सात्विक भोजन और आचरण का पालन करेंगे। यदि इस नियम का उल्लंघन होता है, तो व्रत टूट जाता है।
- ब्रह्मचर्य का पालन: व्रति को नवरात्रि के दौरान ब्रह्मचर्य के नियमों का कड़ाई से पालन करना अनिवार्य है। भोग-विलासिता से दूर रहना आवश्यक है वरना पूजा का फल प्राप्त नहीं होता।
- तामसिक वस्तुओं से दूर रहना: नवरात्रि में प्याज, लहसुन, मांस, मछली, अंडा, शराब, गुटखा, पान, सुपारी, सिगरेट और बीड़ी का सेवन नहीं करना चाहिए।
- सवेरे संकल्प और पूजा: नवरात्रि के पहले दिन सुबह में व्रत और पूजा का संकल्प लें। इसके बाद कलश स्थापना करें और मां का आह्वान करके उन्हें चौकी पर विराजमान कराएं।
- सभी का सात्विक भोजन: यदि घर में नवरात्रि का व्रत रखा जा रहा है, तो पूरे परिवार को केवल सात्विक भोजन करना चाहिए।
- धार्मिक पाठ: नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती और देवीभागवत पुराण का पाठ करना चाहिए। यदि आप स्वयं नहीं कर सकते, तो किसी पंडित से करवा सकते हैं।
- कन्या पूजन: दुर्गा अष्टमी या महा नवमी के दिन कन्या पूजन करना अनिवार्य है। हिन्दू धर्म में कन्याओं को देवी माता का रूप माना गया है।
- हवन और पारण: दुर्गा अष्टमी और महा नवमी के दिन नवरात्रि का हवन भी करना चाहिए। आप इन दोनों में से किसी एक दिन भी हवन कर सकते हैं।दशमी को पारण करके नवरात्रि व्रत को पूरा करें।