KNEWS DESK- मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और कल्याणकारी माना गया है। वैदिक पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में यह शुभ व्रत 1 दिसंबर को मनाया जा रहा है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है, पापों से मुक्ति दिलाता है और साधक को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की संयुक्त आराधना अत्यंत शुभ मानी जाती है।
मोक्ष प्रदान करने वाला महापर्व
पुराणों में मोक्षदा एकादशी को वह तिथि बताया गया है जब भगवान विष्णु साधकों को मोक्ष का वरदान प्रदान करते हैं। श्रद्धापूर्वक व्रत रखने वाला व्यक्ति पापों से मुक्त होकर आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करता है। इस व्रत की विशेषता यह है कि इसे करने से जीवन में रुके हुए कार्य भी गति पकड़ते हैं और भगवान विष्णु की कृपा से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त
मोक्षदा एकादशी की शुरुआत प्रातःकाल स्नान और संकल्प के साथ होती है। परंपरा के अनुसार पूजा का सबसे शुभ समय सूर्योदय के आसपास माना गया है।
- सुबह का शुभ मुहूर्त: सुबह 06:30 से 08:30 बजे के बीच भगवान विष्णु की मुख्य पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
- वैकल्पिक समय: यदि कोई साधक सुबह पूजा करने में असमर्थ हो, तो दोपहर से पहले किसी भी शुभ समय में पूजा कर सकता है।
- शाम का शुभ समय: सूर्यास्त से कुछ समय पहले या बाद में शाम 05:00 बजे से 07:00 बजे तक केले का दीपक जलाकर भगवान विष्णु की आराधना करना शुभ माना जाता है।
वास्तविक सूर्योदय और सूर्यास्त का समय क्षेत्र अनुसार बदल सकता है, इसलिए स्थानीय पंचांग के आधार पर समय का निर्धारण सर्वोत्तम माना जाता है।
मोक्षदा एकादशी की पूजा-विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ एवं सात्विक वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को शुद्ध कर भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें।
- गणेश वंदना के बाद व्रत-संकल्प लें।
- धूप, दीप, पुष्प, अक्षत और विशेष रूप से तुलसी पत्र अर्पित करें।
- दिनभर संयम, सत्य और शांतचित्त रहकर भगवान का स्मरण करें।
- साधक अपनी क्षमता के अनुसार निर्जल, निराहार या फलाहार व्रत रख सकता है।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप और विष्णु सहस्रनाम का पाठ अत्यंत पुण्यदायी माना गया है।
- इस दिन तामसिक भोजन, क्रोध, वाणी में कठोरता और नकारात्मक विचारों से बचना व्रत की शुद्धता के लिए आवश्यक है।
व्रत का पारण
शाम के समय भगवान विष्णु की आरती कर पूरे दिन की साधना का समापन किया जाता है। कुछ लोग रात्रि में जागरण करते हुए भजन-कीर्तन भी करते हैं। अगले दिन द्वादशी तिथि में स्थानीय पंचांग के अनुसार पारण किया जाता है।
- प्रातः स्नान करें।
- सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- भगवान विष्णु की पूजा कर सात्विक भोग में तुलसी अवश्य शामिल करें।
- इसके बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रत समाप्त करें।
मोक्षदा एकादशी केवल एक धार्मिक व्रत नहीं बल्कि आत्मिक शुद्धि का पर्व है। इसकी साधना से जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक प्रकाश का संचार होता है। जो भी भक्त पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ इस व्रत को करता है, उसके जीवन में ईश्वर की कृपा अवश्य प्रकट होती है।