रिपोर्ट – कान्ता पाल
उत्तराखंड – नैनीताल में आज वट सावित्री का ब्रत बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत रखने का विधान है। वट सावित्री व्रत के मौके पर महिलाएं सुबह से ही मंदिरों और वट वृक्ष की पूजा कर परिवार की सुख समृद्धि और पति की दीर्घायु की कामना कर रही हैं |
ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत रखने का विधान
बता दें कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत रखने का विधान है| आज यानि 6 जून को वट सावित्री व्रत के मौके पर महिलाएं सुबह से ही मंदिरों और वट वृक्ष की पूजा कर परिवार की सुख समृद्धि और पति की दीर्घायु की कामना कर रहीं हैं, और पारंपरिक वेशभूषा में महिलाएं सज-धज कर सुबह से ही वट वृक्ष के नीचे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना कर पति की लंबी उम्र की कामना कर रही हैं।
पूजा -अर्चना करने से सुहागिनों को मिलता है अखंड सौभाग्य
मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा लगाकर विधि विधान से पूजा अर्चना करने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती भव: का आशीर्वाद मिलता है। पुराणों के अनुसार वट वृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और अग्रभाग में शिव का वास माना गया है। यही कारण है कि महिलाएं अपने पति और परिवार की सुख शांति के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं| व्रत के दौरान बरगद के पेड़ के चारों ओर घूमकर महिलाएं रक्षा सूत्र बांध आशीर्वाद भी मांगती हैं।