KNEWS DESK-हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि हमेशा से अत्यंत पावन और शुभ मानी जाती है, लेकिन जब यह तिथि मार्गशीर्ष (अगहन) माह में आती है, तो इसका महत्व और बढ़ जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं गीता में कहा है— “मासानाम् मार्गशीर्षोहम्” यानी महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं। इसी कारण मार्गशीर्ष पूर्णिमा को विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और भगवान सत्यनारायण की आराधना के लिए उत्तम दिन माना जाता है। भक्त इस दिन स्नान, दान और पूजा करके स्वयं को पवित्र करते हैं और सौभाग्य, शांति तथा मोक्ष की कामना करते हैं।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 कब है?
पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 4 दिसंबर, गुरुवार को पड़ रही है। यह दिन आध्यात्मिक साधना, पुण्य और भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जा रहा है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025: महत्वपूर्ण मुहूर्त
- पवित्र स्नान और दान का समय: सुबह 5:10 बजे से 6:05 बजे तक।
- भगवान सत्यनारायण पूजा का समय: सुबह 10:53 बजे से दोपहर 1:29 बजे तक।
इन मुहूर्तों का पालन करने से पूजा और दान का फल कई गुना बढ़ जाता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
श्रीकृष्ण की विशेष कृपा
भगवान कृष्ण ने मार्गशीर्ष को अपना स्वरूप बताया है। इसलिए इस पूर्णिमा पर की गई पूजा, व्रत और मंत्र-जप सीधा श्रीकृष्ण का आशीर्वाद दिलाता है। भक्त मानते हैं कि इस दिन किए गए आध्यात्मिक कार्यों का फल अनंत गुना बढ़कर मिलता है।
तीर्थ स्नान और दान का महत्व
धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी, गंगा, यमुना, सरयू या किसी भी तीर्थ सरोवर में स्नान करने से शरीर और मन दोनों पवित्र होते हैं। स्नान के बाद तिल, गुड़, अन्न, वस्त्र, कंबल, फल आदि का दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इस दिन किया गया दान व्यक्ति के जीवन से कई संकट और कष्ट दूर कर देता है।
मोक्ष का मार्ग
मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों के न केवल वर्तमान जीवन के पाप, बल्कि जन्म-जन्मांतरों के दोष भी समाप्त हो जाते हैं। यह दिन मोक्ष प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा की पूजन-विधि
इस पावन तिथि पर भक्त निम्न प्रकार से पूजा-अर्चना करते हैं:
स्नान से शुरुआत:शुभ मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करें। यदि संभव न हो तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
सूर्य देव को अर्घ्य:स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और उगते सूर्य को जल चढ़ाएं।
सत्यनारायण भगवान की पूजा:घर में कलश स्थापना कर भगवान सत्यनारायण की पूजा करें। कथा का पाठ,पंचामृत से भोग, प्रसाद वितरण।
दान का महत्व:अपनी सामर्थ्य के अनुसार गरीबों, जरूरतमंदों या ब्राह्मणों को अन्न, कपड़े, फल, तिल, गुड़ आदि का दान करें।
चंद्र देव को अर्घ्य:शाम को चंद्रोदय के समय चंद्र देव को दूध मिश्रित जल का अर्घ्य दें।
मंत्र-जप:इस दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे कम से कम 108 बार जपने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस पूर्णिमा पर क्यों जागती है आस्था की ज्योति?
मार्गशीर्ष पूर्णिमा केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक आस्था, शांति और पुण्य का पर्व है। यह दिन भक्तों को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। भगवान कृष्ण और सत्यनारायण की कृपा पाने का यह एक दिव्य अवसर है जिसे किसी भी तरह नहीं चूकना चाहिए। इस वर्ष 4 दिसंबर को आने वाली यह पूर्णिमा आपके जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और मोक्ष का मार्ग खोले इसी शुभकामना के साथ।