कार्तिक मास 2025: जानें क्यों है यह महीना सबसे पवित्र, क्या करें और क्या न करें इस दौरान?

KNEWS DESK- हिंदू धर्म में कार्तिक मास को सबसे पवित्र महीनों में से एक माना गया है। यह महीना पुण्य, भक्ति और साधना का काल होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास साल का आठवां महीना है और इस वर्ष इसका प्रारंभ 8 अक्टूबर 2025 से हो रहा है। इस महीने का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसी दौरान भगवान श्री हरि विष्णु योगनिद्रा से जागकर संसार के पालन में पुनः प्रवृत्त होते हैं।

पुराणों में कहा गया है कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। इस महीने में की गई पूजा, व्रत, दान और दीपदान का विशेष फल मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और उनके जीवन से सभी प्रकार की परेशानियां दूर होती हैं।

कार्तिक मास में क्या नहीं करना चाहिए

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस माह में कुछ विशेष कार्य वर्जित माने गए हैं— बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है। मांसाहार से पूर्णतया दूर रहें। इस महीने में अहिंसा और सात्विक जीवन शैली का पालन जरूरी है। पेड़ों को नहीं काटना चाहिए, ऐसा करने से पुण्य नष्ट होता है। शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए, सिवाय कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (नरक चतुर्दशी) के दिन। उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, बैंगन और करेला जैसे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।मदिरा और नशे का सेवन भी वर्जित है।

कार्तिक मास में क्या करना चाहिए

तुलसी पूजन और दीपदान इस माह का सबसे महत्वपूर्ण नियम है। प्रतिदिन तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। दान-पुण्य करें। भोजन, वस्त्र, दीप, और जरूरतमंदों को दान देने से अत्यधिक पुण्य मिलता है। पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत शुभ माना गया है। यदि संभव न हो, तो घर पर स्नान करते समय गंगाजल मिलाकर स्नान करें। व्रत और प्रभातकालीन पूजा करें। सूर्योदय से पहले स्नान करके भगवान विष्णु के नाम का जप करना अत्यंत फलदायी होता है।

कार्तिक मास भक्ति, आत्मसंयम और पुण्य का प्रतीक है। इस महीने में यदि व्यक्ति नियमपूर्वक व्रत, पूजन और दान करता है, तो उसे अपार आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। यह महीना हमें सिखाता है कि सरल जीवन, सात्विक भोजन और ईश्वर के प्रति श्रद्धा ही सच्चे सुख और समृद्धि की कुंजी हैं।