कन्या संक्रांति 2025: सितंबर में कब है कन्या संक्रांति? जानें तारीख, शुभ मुहूर्त, महत्व और दान-पुण्य के नियम

KNEWS DESK- हिंदू धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व है। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस दिन को संक्रांति कहा जाता है। साल 2025 में सूर्य अपनी स्वराशि सिंह से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे, जिसे कन्या संक्रांति कहा जाता है। इस दिन स्नान, दान और पूजा का अत्यधिक महत्व होता है।

इस बार लोगों के मन में दुविधा थी कि कन्या संक्रांति 16 सितंबर को पड़ेगी या 17 सितंबर को। पंचांग के अनुसार, कन्या संक्रांति 17 सितंबर 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी।

पूजा और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

कन्या संक्रांति पर स्नान और दान का पुण्य कई गुना फल देता है। इस साल के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं—

  • पुण्य काल: दोपहर 01:46 बजे से शाम 06:19 बजे तक (अवधि: लगभग 4 घंटे 33 मिनट)
  • महापुण्य काल: दोपहर 01:46 बजे से 03:31 बजे तक (अवधि: लगभग 1 घंटा 45 मिनट)

इस दौरान गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। यदि नदी स्नान संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और सूर्य देव की आराधना करें।

क्यों मनाई जाती है कन्या संक्रांति?

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को सभी ग्रहों का राजा और आत्मा का कारक माना गया है। सूर्य के राशि परिवर्तन से वातावरण और मानव जीवन दोनों पर प्रभाव पड़ता है। कन्या संक्रांति के दिन सूर्य के कन्या राशि में गोचर से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

इस दिन किया गया दान-पुण्य रोग, शोक और दुख से मुक्ति दिलाता है। व्यक्ति के मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि करता है। जीवन की कई बाधाओं का समाधान देता है।

कन्या संक्रांति पर क्या करें दान?

इस पवित्र अवसर पर जरूरतमंदों और गरीबों को दान करना बेहद शुभ माना जाता है। खासतौर पर—

  • वस्त्र: नए या साफ-सुथरे कपड़े दान करें।
  • अनाज: गेहूं, चावल, दाल आदि।
  • गुड़ और तिल: इनका दान विशेष पुण्यकारी है।
  • दक्षिणा: दान-पुण्य के साथ ब्राह्मण या जरूरतमंद को दक्षिणा देना भी जरूरी है।

कन्या संक्रांति 2025 का दिन स्नान, दान और पूजा के लिए अत्यंत शुभ है। इस दिन सूर्य देव की उपासना और गरीबों की मदद करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और सम्मान भी बढ़ता है।