कालाष्टमी 2025: कब है इस साल की आखिरी कालाष्टमी? जानें तिथि, पूजा विधि और महत्व

KNEWS DESK- सनातन धर्म में कालाष्टमी का अपना विशिष्ट और अत्यंत पवित्र महत्व है। यह व्रत भगवान शिव के रौद्र एवं दंडाधिकारी स्वरूप काल भैरव को समर्पित होता है। हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाने वाली यह तिथि भय, बाधा और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति प्रदान करने वाली मानी जाती है। माना जाता है कि इस दिन की पूजा और व्रत से भक्तों को जीवन की समस्त विपत्तियों से सुरक्षा मिलती है और भगवान शिव–भैरव का विशेष आशीष प्राप्त होता है।

दिसंबर 2025 में कब है आखिरी कालाष्टमी?

साल 2025 की अंतिम कालाष्टमी दिसंबर माह में पड़ रही है, जो अत्यंत शुभ और सिद्धकारी मानी जा रही है।

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ:11 दिसंबर 2025, गुरुवार, दोपहर 01:58 बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 12 दिसंबर 2025, शुक्रवार, सुबह 02:57 बजे

उदया तिथि की मान्यता और रात्रि निशीथ काल में पूजा की विशेष प्रधानता के अनुसार, इस वर्ष की आखिरी कालाष्टमी 11 दिसंबर 2025, गुरुवार को मनाई जाएगी। इसी दिन व्रत और पूजा की जाएगी।

कालाष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त

यद्यपि कालाष्टमी पर रात का समय सर्वोत्तम माना जाता है, फिर भी दिन में भी कुछ विशेष मुहूर्त शुभ फलदायी होते हैं।

  • अभिजीत मुहूर्त:11:54 AM से 12:35 PM तक

रात के निशीथ काल (मध्य रात्रि) में पूजा करने से काल भैरव का विशेष अनुग्रह प्राप्त होता है।

कालाष्टमी पूजा विधि

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
  2. पूजा स्थल पर भगवान शिव, माता पार्वती और काल भैरव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. रात्रि में काल भैरव के समक्ष दीपक, धूप, पुष्प, नारियल, सिंदूर, नैवेद्य और काले तिल अर्पित करें।
  4. काल भैरव को तेल का दीपक चढ़ाना अत्यंत शुभ माना गया है।
  5. भैरव अष्टक का पाठ करें और काल भैरव मंत्रों का जाप करें।
  6. पूजा के अंत में आरती करें और भगवान से कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करें।

कालाष्टमी का धार्मिक महत्व

काल भैरव को ‘दंडाधिकारी’ कहा जाता है, जो अन्याय और अनुचित कर्मों का दंड देने वाले देवता माने जाते हैं।
उनकी पूजा से—

  • भय, रोग और कष्ट दूर होते हैं।
  • नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती हैं।
  • शत्रु बाधाएँ समाप्त होती हैं।
  • मन और घर में सकारात्मकता का प्रवेश होता है।

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, जिन व्यक्तियों की कुंडली में कालसर्प दोष, पितृ दोष या शनि संबंधी परेशानी हो, उन्हें विशेष रूप से इस दिन पूजा करनी चाहिए।

कालाष्टमी के विशेष उपाय

नींबू अर्पण: काल भैरव मंदिर में नींबू चढ़ाने से ग्रहों के दुष्प्रभाव कम होते हैं और कालसर्प दोष की पीड़ा दूर होती है।

सरसों के तेल का दीपक:रात्रि में सरसों के तेल का दीपक जलाने से कष्ट, भय और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।

काले कुत्ते को भोजन: काला कुत्ता काल भैरव का वाहन माना गया है। उसे रोटी, दूध या मिठाई खिलाने से भगवान भैरव अति प्रसन्न होते हैं और शीघ्र इच्छा पूरी करते हैं।

कालाष्टमी का यह पावन दिन साधक के जीवन में नई ऊर्जा, सुरक्षा और आध्यात्मिक शक्ति का संचार करने वाला माना जाता है। भगवान काल भैरव की कृपा से सभी बाधाएँ दूर हों और जीवन में उत्साह, शांति और समृद्धि का आगमन हो—इसी कामना के साथ।

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