KNEWS DESK- सनातन धर्म में कजरी तीज का पर्व एक विशेष स्थान रखता है। यह पर्व सावन और भाद्रपद के महीने में आता है और इसके आयोजन की तिथियां हिंदू पंचांग के अनुसार तय की जाती हैं। कजरी तीज का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, और इसे पूरे साल में तीन बार मनाया जाता है, जिनमें हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज प्रमुख हैं।
इस वर्ष हरियाली तीज 7 अगस्त 2024 को मनाई गई, और 15 दिनों बाद, 22 अगस्त को कजरी तीज का पर्व आएगा। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए मनाया था, और तब से ही सभी विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना के लिए कजरी तीज का व्रत रखती हैं।
कजरी तीज का महत्व और समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, कजरी तीज भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह तिथि 21 अगस्त 2024 को शाम 5 बजकर 6 मिनट से शुरू होगी और 22 अगस्त 2024 को दोपहर 1 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। इस वर्ष उदिया तिथि के चलते कजरी तीज का व्रत 22 अगस्त को ही रखा जाएगा।
कजरी तीज का व्रत
कजरी तीज का व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना के लिए रखा जाता है। इसके अलावा, अविवाहित महिलाएं भी इस व्रत को अपने मनचाहे वर को पाने के लिए करती हैं। यह व्रत वैवाहिक जीवन में सौभाग्य और समृद्धि लाने के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। संतान सुख की कामना करने वाली महिलाएं भी इस दिन व्रत करती हैं।
कजरी तीज और ‘कजरी’ नाम की उत्पत्ति
कजरी तीज का नाम ‘कजरी’ शब्द से आया है, जिसका अर्थ होता है काला रंग। इस दिन आकाश में काली घटा छाई रहती है, जो इस पर्व की पहचान बनती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के भवानी स्वरूप की पूजा की जाती है।
चंद्रोदय का समय
कजरी तीज के दिन नीमड़ी माता की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन चंद्रोदय रात 8 बजकर 20 मिनट पर होगा, जो पूजा के समय के निर्धारण में सहायक होता है।