पितृपक्ष की कैसे हुई शुरुआत, सबसे पहले अग्नि देव को क्यों परोसते हैं श्राद्ध का भोजन, जानें क्या है इसके पीछे की वजह

KNEWS DESK, पितृपक्ष हमारे पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का एक विशेष अवसर है। यह पर्व भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलता है। इस दौरान श्रद्धालु अपने पितरों को याद करते हैं और उन्हें तर्पण एवं दान करके उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

अग्निदेव को सबसे पहले भोग देने का धार्मिक महत्व, जानें पिंडदान की शुद्ध विधि - pitru paksha 2024 pinddaan ka vidhi vidhan-mobile

पितृपक्ष की शुरुआत कैसे हुई…

पितृपक्ष की शुरुआत त्रेता युग में सीता माता द्वारा श्राद्ध करने के संदर्भ में होती है। द्वापर युग में महाभारत काल के दौरान भी इस परंपरा का उल्लेख मिलता है। किवदंतियों के अनुसार, भीष्म पितामह और युधिष्ठिर के बीच श्राद्ध को लेकर बातचीत हुई, जहां दानवीर कर्ण को बताया गया कि उन्होंने अपने पितरों के लिए कोई कार्य नहीं किया, इसीलिए उन्हें स्वर्ग में भोजन के रूप में सोना-चांदी मिला।

अग्नि देव को सबसे पहले भोजन कराने की वजह…

पितरों के श्राद्ध में सबसे पहले अग्नि देव को भोजन का भाग दिया जाता है। इसके पीछे की कहानी यह है कि लंबे समय तक भोजन करने के बाद पितरों को अपच हो गया था। तब पितृ देवता अग्नि देव के पास गए, जिन्होंने कहा, “अब मैं स्वयं आपके साथ भोजन करूंगा।” इस घटना के बाद से ही श्राद्ध में अग्नि को पहले पूजा जाता है, जिससे पिंडदान को भी शुद्धता प्राप्त होती है।

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